शनिवार, 5 सितंबर 2015

एक्शन पर अड़े पीएस

एक्शन पर अड़े पीएस

tarkash photo 

23 अगस्त

महिला सब इंस्पेक्टर से छेड़खानी के मामले में एआईजी संजय शर्मा के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए प्रिंसिपल सिकरेट्री होम बीबीआर सुब्रमण्यिम अड़ गए हैं। उन्होंने गृह मंत्री रामसेवक पैकरा को एआईजी का डिमोशन कर टीआई बनाना प्रस्तावित किया था। मगर गृह मंत्री ने इस नोट के साथ फाइल लौटा दी कि सजा में कुछ नरमी बरती जाए। सुब्रमण्यिम ने अपने रुख से टस-से-मस न होते हुए दोबारा डिमोशन प्रस्तावित कर मंत्री के पास फाइल भिजवा दी है। सो, गेंद अब गृह मंत्री के पाले में आ गया है।

डिमोशन तय!

महिला सब इंस्पेक्टर छेड़छाड़ मामले में पीडि़ता ने भी धमकी दे डाली है कि उसे न्याय नहीं मिला तो वह पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा देगी और, उसमें वह किसी को नहीं बख्शेगी। वैसे भी, मंत्रालय में ब्यूरोक्रेसी जिस तरह लामबंद हुई है, एआईजी संजय शर्मा के बचने के चांस ना के बराबर है। एआईजी को जिस दिन सस्पेंड किया गया, सीएम एन सीएस अहमदाबाद मंे थे। सीएम से आनन-फानन टेलीफोनिक अनुमति लेकर शर्मा के निलंबन की कार्रवाई की गई। कार्रवाई में कोई मरौव्वत न बरतने के लिए गृह महकमे के अफसरों ने सरकार से फ्री हैंड भी ले लिया है। ठीक भी है, पुलिस वाले जब आईएएस के साथ कोई मरौव्वत नहीं कर रहे तो आईएएस क्यों नरमी बरते?

दो और आईएएस

भानुप्रतापुर के एसडीएम रणबीर शर्मा के बाद एसीबी के राडार में दो और युवा आईएएस आ गए हैं। उनके खिलाफ रिश्वतखोरी की गंभीर शिकायतें हैं। सो, वे कभी भी कार्रवाई की जद में आ सकते हैं। उधर, सीनियर आईएएस आफिसर्स भी खिन्न हैं कि रणबीर ने अगर सलाह मान ली होती, तो ब्यूरोक्रेसी की इस कदर भद नहीं पिटती। दरअसल, यंग आईएएस के खिलाफ सीएम को लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं। उन्हें संगठन के लोगों ने बताया था कि आईएएस ने धूम मचा दिया है। इस पर सीएम ने कांकेर कलेक्टर शम्मी आबिदी को फोन पर बात कर एसडीएम की शिकायतों से अवगत कराया था। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है, शम्मी ने एसडीएम को बुलाकर अलर्ट किया था। लेकिन, हम नहीं सुधरेंगे….वे पकड़े गए।

वास्तुदोष

एक बड़े एपीसोड में आने से बाल-बाल बचे नए हेल्थ सिकरेट्री विकास शील ने मंत्रालय में अपना कमरा बदल दिया है। पहले वे फोर्थ फ्लोर पर चीफ सिकरेट्री के बगल वाले कमरे में बैठते थे। अब वे थर्ड फ्लोर पर आ गए हैं। हालांकि, पहले जिस कमरे में बैठते थे, उसमें चीफ सिकरेट्री बनने से पहले ढांड बैठते थे। वास्तुविदों का कहना है, फरवरी 2014 में गुरू और सूर्य के प्रबल होने के चलते ढांड भले ही सीएस बनने में कामयाब हो गए मगर जब तक उस कमरे में रहे, उन्हें किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, ये बताने की जरूरत नहीं है। इसके बाद विकास शील का कमरा बदलना लाजिमी था।

दूध का जला…..

पीएम के बस्तर विजिट के दौरान डे्रस एपीसोड के बाद अबकी स्वंतत्रता दिवस में पहनावे को लेकर अफसर खासे चैकस दिखे। कलेक्टर, कमिश्नर तो ठीक है, एडीएम, एसडीएम, तहसीलदारों तक बंद गले के सूट में नजर आए। जिनके पास पुराने थे, वे भी नया सिलवा लिए। एकदम चकाचक। पहले कलेक्टर, कमिश्नर ही पुलिस ग्राउंड के समारोह में इस तरह के ड्रेस दिखते थे। इस बार उपर से नीचे तक। दो-एक कलेक्टरों ने तो टोपियां भी लगाई थी। इसे ही कहते हैं, दूध का जला, छांछ को भी फूंक-फूंककर पीता है।

गुडबुक में

सिद्धार्थ कोमल परदेशी को सरकार ने भले ही बिलासपुर कलेक्टर से हटा दिया। लेकिन, उन्हें जिस तरह की पोस्टिंग दी गई है, उससे जाहिर होता है कि वे सरकार के गुडबुक में बने हुए हैं। पहले उन्हें हाउसिंग बोर्ड का कमिश्नर अपाइंट किया गया। फिर, टाउन एन कंट्री प्लानिंग का डायरेक्टर भी। यह ऐसा महकमा है, जिसमें बड़े-बड़े बिल्डर सूटकेस लेकर घूमते रहते हैं। सीएम ने वहां विश्वस्त और ईमानदार छबि के आईएफएस एसएस बजाज को वहां चार साल से अधिक समय तक रखा। इससे पहले, हाउसिंग बोर्ड के साथ टाउन एन कंट्री प्लानिंग का चार्ज किसी आईएएस को नहीं दिया गया। परदेशी ने लगातार चार जिला किया। इनमें सीएम के गृह एवं निर्वाचन जिला, दोनों शामिल है। उनके अलावा सिर्फ मुकेश बंसल को यह मौका मिला है। बंसल कवर्धा जिला कर चुके हैं। राजनांदगांव में उन्होंने कुछ दिन पहले ही बैटिंग चालू की है।

प्रायवेट रोजगार कार्यालय

आउट सोर्सिंग का कड़ा विरोध करने वाले अमित जोगी ने अब सूबे के पढ़े-लिखे युवकों से आनलाइन आवेदन मंगाया है। बताते हैं, ट्रैक्टर में आवेदनों का बंडल भरकर वे सीएम मिलेंगे। उन्हें वे बताएंगे कि छत्तीसगढ़ में मानव संसाधन की कमी नहीं है। बाहर से टीचर न मंगाए जाए। अब अमित का नम्बर बढ़े, संगठन खेमा इसको कैसे बर्दाश्त करेगा। एक नेता ने चुटकी ली…..देखते हैं, अमित का प्रायवेट रोजगार कार्यालय कितने दिन चलता है।

भूपेश का मीडिया प्रेम!

पहले बड़े मामले में ही पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल की प्रेस कांफ्रेंस होती थी। छोटे इश्यू को कांग्रेस के प्रवक्ता ही निबटा लेते थे। मगर कुछ दिनों से भूपेश खुद फ्रंट पर आकर मीडिया से रु-ब-रु हो रहे हैं। पिछले पांच दिन में कोई ऐसा दिन नहीं गुजरा, जब भूपेश मीडिया से मुखातिब नहीं हुए। पत्रकारों को कभी पीसी के लिए बुलाया गया तो कभी बाइट के लिए। व्यापम पर पीसी के दौरान ही भूपेश ने बता दिया था कि कल वे कमल विहार मामले में पत्रकारों से बात करेंगे। मीडिया से नजदीकी का उन्हें फायदा भी हुआ। इस हफ्ते वे सुर्खियों में रहने वाले लीडर रहे। ये अलग बात है कि पंचायत मिनिस्टर अजय चंद्राकर ने उन पर मीडिया का रोग लगने का तंज कसा। तो दीगर नेताओं ने मीडिया प्रेम पर उनका मजाक उड़ाया।

पते की बात

देश के कई नेता उस रहस्यमयी विदेशी ठिकाने का पता लगाने में जुटे हैं, जहां 57 दिन रहने से राहुल गांधी के पारफारमेंस में हैरतअंगेज परिवर्तन आ गया।

अंत में दो सवाल आपसे

1. रणबीर सिंह एपीसोड में आईएएस एसोसियेशन ने सीएम से मिलकर एसीबी द्वारा नौकरशाहों के खिलाफ कार्रवाई न करने की मांग की, उससे किसकी किरकिरी हुई?
2. व्हाट्सएप के जरिये आए दिन आईजी और एसपी की गलत पोस्टिंग का रायता फैलाने में किस आईपीएस अफसर का हाथ हो सकता है? 

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