29 अगस्त
छत्तीसगढ़ में करप्शन की क्या स्थिति है, इसकी एक बानगी देखिए। उद्योग से रिलेटेड एक विभाग में 15 सहायक संचालकों का पीएससी से सलेक्शन किया गया। पीएससी से लिस्ट के आने के बाद संबंधित विभाग ने बीते मई में अफसरों को नियुक्ति दे दी। लेकिन, इसके बाद…..? चार महीने हो गए, उन्हें पोस्टिंग के लिए टरकाया जा रहा है। बताते हैं, मंत्रीजी के करिंदे अफसरों को बंगले में बुला कर टटोल रहे हैं, तुम किस जिले में जाना चाहते हो और कितना दे दोगे? सूत्रों की मानें तो रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, कोरबा, जांजगीर और कोरबा जैसे जिले के लिए दो-दो लाख रुपए रेट रखा गया है। याने पोस्टिंग से पहले ही भ्रष्टाचार की ट्रेनिंग। आखिर, बेचारे रणबीर के साथ भी तो ऐसा ही हुआ न। उसे ट्रेनिंग ही ऐसी मिली। उसने कल्पना भी नहीं की होगी कि कलेक्टर बनने से पहले कोई आईएएस हाथ काला करता होगा। लेकिन, छत्तीसगढ़ में उसने देखा कि एसडीएम से लेकर नगर निगम आयुक्त और जिला पंचायत सीईओ तक चालू हैं। छत्तीसगढ़ में अब ट्रेनिंग ही इस तरह की मिल रही है तो इसमें अफसर का क्या कसूर? मंत्री से लेकर ब्यूरोके्रट्स तक यही ट्रेनिंग दे रहे हैं।
बल्ले-बल्ले
स्मार्ट सिटी के लिए रायपुर के नाम में कोई संशय नहीं था। मगर बिलासपुर को लेकर उहापोह की स्थिति थी। स्मार्ट सिटी के दो-एक पैरामीटर पर बिलासपुर खड़ा नही उतर रहा था। दीगर राज्यों में बिलासपुर से कई बड़े शहर कट गए थे। ऐसे में, उम्मीद थी तो सिर्फ वेंकैया नायडू से। वेंकैया के स्व0 लखीराम अग्रवाल से करीबी रिश्ते थे। लखीराम के पुतर अमर अग्रवाल बिलासपुर से एमएलए हैं। फिर, नगरीय प्रशासन मंत्री भी। उनके लिए बिलासपुर को स्मार्ट बनाना प्रतिष्ठा का प्रश्न था। अमर के लिए वेंकैया ने वीटो लगा दिया। ऐसे में, अमर का बल्ले-बल्ले होना लाजिमी है। नसबंदी कांड के बाद वे अपने मेयर को 35 हजार वोट से जीतवा दिए थे। अब, स्मार्ट बननेे के बाद तो बिलासपुर में अमर के खिलाफ कंडिडेट ढूंढना कांग्रेस के लिए पेचीदा हो जाएगा।
मामा का पाप
मामा का पाप एक यंग आईएएस को भुगतना पड़ गया। हाल में हुए फेरदबल में आईएएस को एक वीआईपी जिला पंचायत में सीईओ बनाया गया था। मगर टीवी चैनलों पर ब्रेकिंग न्यूज चलते ही जिले के नेताओं ने फोन खड़खड़ाना शुरू कर दिया। बताते हैं, आईएएस के मामा एक रेप कांड में फंसे हैं। इससे मामा परिवार की इलाके में खूब भद पिटी थी। सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने सरकार को बताया कि आईएएस को पोस्ट करने से बढि़यां मैसेज नहीं जाएगा। सरकार को बात जंची। और, अगले दिन ही आर्डर चेंज करके आईएएस को रिमोट डिस्ट्रिक्ट में भेज दिया गया।
अफवाहों के पीछे
पुलिस महानिरीक्षकों के ट्रांसफर की उड़ाई जा रही खबरों को आईपीएस की गुटीय लड़ाई से जोड़कर देखा जा रहा है। पिछले दो महीने में तीन बार व्हाट्सएप पर ट्रांसफर की खबर चली। कभी पवनदेव को बिलासपुर से पीएचक्यू भेजा गया तो कभी जीपी सिंह को रायपुर से सरगुजा। दरअसल, दोनों पिच पर जम गए हैं। विरोधी खेमे की कोशिश है कि दोनों का ध्यान भंग हो और वे हिट विकेट हो जाए। मगर इससे दोनों का नम्बर बढ़ ही रहा है। जीपी सिंह जनवरी के बाद भी क्रीज पर टिके रहें, तो अचरज नहीं। उधर, भूपेश बघेल ने पवनदेव को निशाने पर लेकर उन्हें और मजबूत कर दिया है। पवनदेव पर पहले कांग्रेसी लेवल चपका दिया गया था। इसीलिए, पिछले नौ साल तक उन्हें अच्छी पोस्टिंग नहीं मिली। पवन को डायरेक्टर लोक अभियोजन तक बनना पड़ा। तीसरी पारी में ठोक-बजाकर देखने के बाद उन्हें बिलासपुर की कमान सौंपी गई। और, फिलहाल पांच में से जिन दो रेंज से सरकार काफी खुश हैं, उनमें बिलासपुर भी शामिल है। बहरहाल, जनवरी के पहले आईजी के ट्रांसफर होने भी नहीं है। सरगुजा आईजी लांगकुमर जनवरी में एडीजी प्रमोट होंगे। तब एक चेन बनेगा।
अब मार्च में
आईएएस में कलेक्टर लेवल पर फेरबदल के लिए अब बजट सत्र तक का इंतजार करना होगा। याने मार्च मानकर चलिये। इसकी वजह भी है। एक तो, रायपुर और दंतेवाड़ा जैसे एक-दो को छोड़ दें तो अधिकांश कलेक्टरों का अभी एक साल या फिर उससे कम समय हुआ है। कलेक्टर के प्रबल दावेदार 2009 बैच के अधिकांश अफसरों को सरकार ने हाल ही में नई पोस्टिंग दी है। जाहिर है, कम-से-कम वे छह महीना तो वे इस पोस्ट पर रहेंगे। सरकार ने एक काम जरूर अच्छा किया है कि सीधे कलेक्टर बनाने की बजाए अब एडीएम, सीईओ पोस्ट कर रही है। कुछ को मंत्रालय एवं विभागों में भी भेजा गया है। ताकि, कलेक्टर बनने से पहले अफसरों को राजधानी के सिस्टम की जानकारी हो जाए। इससे पहले, डायरेक्टर आईएएस को एडीएम बनाने का सिस्टम खतम हो गया है। अवनीश शरण पहले डायरेक्ट आईएएस होंगे, जो नगर निगम कमिश्नर, एडीएम रहने के बाद अब जिला पंचायत कर रहे हैं।
ननकी की याद
सूखे को देखते सरकार को अब अपने पुराने मंत्री ननकीराम कंवर की याद आ रही है। मंत्री रहने के दौरान कंवर अपने बंगले में पानी के लिए यज्ञ करवाते थे। तब भी, जब कृषि मंत्री नहीं थे। जाहिर है, सरकार कम-से-कम वर्तमान कृषि मंत्री से कुछ उम्मीद तो कर रही होगी। वैसे भी, वे महामंडलेश्वर हैं। संतों से उन्हें ये उपाधि मिली है। दान-दक्षिणा, धरम-करम भी खूब करते हैं। जाहिर है, वे यज्ञ कराते तो उसका कुछ तो असर होता। पर सवाल यह है कि महामंडलेश्वर ऐसा क्यों करेंगे। तीसरी पारी में उनकी खुद की स्थिति भी तो सूखे जैसी ही है।
अच्छी खबर
कम्युनिटी पोलिसिंग में मार्केबल काम करते हुए रायपुर पुलिस रेंज सिटीजन काप नाम से मोबाइल एप चालू करने जा रहा है। इसमें मोबाइल से ही अब थानों में लूट, डकैती या कहीं न्यूसेंस हो रहा हो, तो उसकी सूचना पुलिस को दी जा सकती है। कोई शराब पीकर हुल्लड़ कर रहा हो या कहीं छेड़खानी हो रही हो। सब। मोबाइल गुमने पर अब आपको थानों में चक्कर नहीं लगाना होगा और ना ही सूचना दर्ज करने के लिए जेब ढिली करनी होगी। मोेबाइल, पासबुक, एटीएम समेत जिन चीजों के गुमने में पुलिस को इंफार्म करना होता है, सारी चीजें आपको मोबाइल पर मिल जाएंगी। सिटीजन काप में एसएमएस करने पर आपको एक आईडी मिलेगी। उस आईडी को खोलने पर आपको पावती मिल जाएगी। इनमें दर्जन भर से अधिक और सुविधाएं होंगी। मसलन, सेफ जोन। आपके बच्चे कहीं ट्यूशन जा रहे हैं और आपने उस एरिया को मोबाइल में फीड कर दिया है। उस एरिया से बाहर जाने पर आपको पता चल जाएगा कि आपका बच्चा ट्यूशन गया है या कहीं और। याने बच्चे की किडनेपिंग की स्थिति में भी यह उपयोगी है। आपके पास मैसेज आ जाएगा। कुल मिलाकर यह मल्टी फंक्शनल एप होगा। आईजी जीपी सिंह ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। सीएम से इनाग्रेशन का टाईम मिलने के बाद किसी भी दिन इसे लांच कर दिया जाएगा।
कंधे पर बंदूक
दूसरे के कंधे पर रखकर बंदूक चलाने वाला मुहावरा तो आपने सुना होगा, मगर अभनपुर में किसानों के प्रदर्शन के दौरान लोगों ने पुलिस को दूसरों के कंधों पर बंदूक रखकर चलाते देखा। कंधा भी पूर्व मंत्री धनेंद्र साहू का था। असल में, भीड़ में बंदूक से अश्रू गैस का गोला दागने के लिए स्पेस नहीं मिल रही था। पुलिस वाले ने दिमाग लगाया और बगल में खड़े साहू के कंधे पर बंदूक रखकर फायर कर दिया। साहू इस पर खूब बिगड़े। पहले तो वे समझ नहीं पाए कि हुआ कैसे। इसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों को जमकर खरी-कोटी सुनाई….देखो तुम्हारे पुलिस वाले मेरी जान लेने की कोशिश कर रहे हैं….मुझे मार डालेंगे। मुश्किल से साहू को शांत किया गया।
अंत में दो सवाल आपसे
1. पंचायत एन हेल्थ मिनिस्टर अजय चंद्राकर का हेल्थ सिकरेट्री विकास शील के साथ कैसी निभ रही है?
2. लेबर मिनिस्टर ने भैयालाल राजवाड़े ने कर्मचारी बीमा अस्पताल में बरसों से जमे डायरेक्टर को हटाया तो एक आला अधिकारी उसे बचाने मंत्री के सामने क्यों आ गए?
2. लेबर मिनिस्टर ने भैयालाल राजवाड़े ने कर्मचारी बीमा अस्पताल में बरसों से जमे डायरेक्टर को हटाया तो एक आला अधिकारी उसे बचाने मंत्री के सामने क्यों आ गए?
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