शनिवार, 19 सितंबर 2015

कहीं खुशी, कहीं गम

tarkash photo

 

13 सितंबर

संजय दीक्षित
सातवें वेतनमान की लागू होने वाली सिफारिशों की भनक ने कई नौकरशाहों की नींद उड़ा दी है। दरअसल, दिल्ली से आ रही खबरों की मानें तो सातवें वेतन आयोग में प्रावधान किया जा रहा है कि रिटायरमेंट की आयु 60 हो या कुल नौकरी 33 बरस। इनमें से जो पहले आएगा, सेवामुक्त कर दिया जाएगा। हालांकि, नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने का बाद केंद्र ने रिटायरमेंट एज 60 से घटाकर 58 करने का फैसला किया था। तब ब्यूरोके्रसी के विरोध के चलते वह परवान नहीं चढ़ सका था। अब बीच का रास्ता निकाला गया है। अगर यह लागू हुआ तो छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी में इसका बड़ा फर्क पड़ेगा। 82 बैच तक के आफिसर सिफारिश लागू होते ही एक झटके में घर बैठ जाएंगे। छत्तीसगढ़ में 82 बैच वाले दो आईएएस हैं। एक, चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड 81 बैच और दूसरे, डीएस मिश्रा 82 बैच। हालांकि, मिश्रा का अगले बरस ही रिटायरमेंट है, सो उन्हें ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। फिलहाल, आईपीएस में 33 वाला कोई नहीं है। डीजीपी एएन उपध्याय 85 बैच के हैं। उनकी सेवा अभी 30 बरस हुई है। डीजी लोक अभियोजन एमडब्लू अंसारी अगले साल रिटायर हो जाएंगे, इसलिए वे भी बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं होंगे। डीजी होमगार्ड गिरधारी नायक को जरूर झटका लगेगा। वे 83 बैच के हैं। याने अगले साल उनका भी 33 हो जाएगा। 33 वाले सर्वाधिक आईएफएस में हैं। पीसीसीएफ से लेकर कई एडिशनल पीसीसीएफ। छह से सात। सबकी छुट्टी हो जाएगी। बहरहाल, 33 की सुनामी से कहीं खुशी है तो कहीं गम। नीचे वाले खुश हैं कि जल्दी उपर आने का मौका मिल जाएगा। और, गम का रीजन आप समझ ही गए होंगे।

मेंटर की नियुक्ति

महाराष्ट्र की तर्ज पर छत्तीसगढ़ के दोनों स्मार्ट शहरों के लिए मेंटर की नियुक्ति के लिए टाप लेवल पर विचार किया जा रहा है। महाराष्ट्र के दसों स्मार्ट शहरों के लिए प्रिंसिपल सिकरेट्री से लेकर एडिशनल चीफ सिकरेट्री को मेंटर अपाइंट किया गया है। मेंटर मतलब संरक्षक। एक ऐसा सीनियर आईएएस, जिसके बिहाफ में स्मार्ट शहरों को मेंटेन किया जा सकें। उसे संबंधित स्मार्ट शहर के अफसर सुने। हालांकि, छत्तीसगढ़ में पहले से जिलों में प्रभारी सचिवों की व्यवस्था है। मगर दो-तीन महीने में जिले में जाकर मीटिंग की रस्म के अलावा उनकी कोई भूमिका होती नहीं। मगर, अब मोदी के स्मार्ट सिटी में अफसरों को काम करना होगा। इसलिए, ठीक-ठाक छबि के अफसरों को ही मेंटर बनाया जाएगा।

होड़ हो तो ऐसी

सीएम ने बेरोजगारी दूर करने के लिए जिले के कलेक्टरों को सेना में भरती रैली करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद कुछ कलेक्टरों में तो होड़-सी मच गई है। खासकर, जांजगीर और राजनांदगांव के कलेक्टरों में। जांजगीर में ओपी चैधरी ने पिछले तीन महीने में 249 युवकों को सेना में भरती कराया है। कुछ और होने हैं। जांजगीर में इसकी तैयारी के लिए 10 बड़े प्रशिक्षण कैंप बनाए गए थे। उसमें स्पोट्स टीचरों की ड्यूटी लगाई गई। तब जाकर ये हुआ। उघर, राजनांदगांव कलेक्टर मुकेश बंसल पहली बार एयरफोर्स में भरती कराने जा रहे हंै। चैधरी और बंसल बैचमेट हैं। 2005 बैच के आईएएस। दोस्ती भी दांतकाटी रोटी जैसी। जब उनमें अच्छा करने का होड़ है। तो बाकी से तो उम्मीद करनी ही चाहिए। सेना में प्रतिनिधित्व के मामले में छत्तीसगढ़ वैसे भी काफी नीचे हैं। इसमें बड़ी तालिम की भी जरूरत नहीं पड़ती। और, जब बेरोजगारी की स्थिति यह है कि चपरासी के 22 पोस्ट के लिए 75 हजार आवेदन पहुंच जाते हैं, तो सेना में भरती के लिए ऐसे ही प्रयास होने चाहिए।

पोस्टिंग के पीछे

सीएम सचिवालय में लंबे समय तक काम करने वाले आईएफएस सुब्रमण्यिम की वन मुख्यालय में डेवलपमेंट विंग में पोस्टिंग यूं ही नहीं की गई है। वन विभाग में पीसीसीएफ के बाद कोई मलाईदार पोस्टिंग होती है तो वह है डेवलपमेंट और कैम्पा। कैम्पा में पहले से बीके सिनहा बैठे हैं। सिनहा भले ही सरकारी खेमे के नहीं माने जाते मगर छबि अच्छी है, इसलिए कैंपा में उन्हें बिठाए रखने में सरकार को कोई परेशानी नहीं है। पिछले हफ्ते फेरबदल में डेवलपमेंट विंग के लिए कई अफसर एड़ी-चोटी के जोर लगा रहे थे। कुछ तो बड़े हाउस का भी जैक लगाए। मगर सरकार ने न केवल उन्हें दो टूक इंकार कर दिया बल्कि सुब्रमण्यिम को इस पोस्ट पर बिठा दिया। वन विभाग में कागजों में जो काम होते हैं, उसके बजट इसी विभाग से स्वीकृत होते हैं। बिना कमीशन लिए बजट दिए नहीं जाते। सुब्रमण्यिम के बैठ जाने से वन विभाग में उपर से नीचे तक लोग थोड़ा टाईट रहेंगे।

खफा-खफा से

राजधानी की लड़कियां रायपुर आईजी जीपी सिंह से बेहद नाराज हैं। नाराजगी का कोई और कारण मत समझिएगा। उस टाईप के वे हैं भी नहीं। असल में, उनका सिटीजन काप एप ने लड़कियांे की मुसीबतें बढ़ा दी है। लड़कियां स्कूल, कालेज, ट्यूशन, गार्डन, माल या न्यू रायपुर, कहीं भी जाएं, दुपट्टा बांध के जाएं, वे अब बचेंगी नहीं। अभिभावकों को उनका लोकेशन मिल जाएगा। राजधानी में कार में गैंग रेप की झकझोंरने वाली घटना के बाद सिटीजन काप एप में पालकों की दिलचस्पी और बढ़ गई है। वे अब एप की जानकारी लेने में जुट गए हैं। कुछ तो बकायदा रजिस्ट्रर्ड भी हो गए हैं। ऐसे में, जीपी सिंह को बेचारी लड़कियां कोसेंगी नहीं तो क्या करेंगी। लड़कियों की स्वच्छंदता छिनने की चिंता तो एप के लांचिंग प्रोग्राम में भी दिख रहा था। अग्रसेन महिला महाविद्यालय जहां सीएम ने एप को लांच किया, पीछे बैठी लड़कियां पूरे कार्यक्रम के दौरान कमेंट करती रहीं। मीडियाकर्मियों से भी अनुरोध भी कि आप लोग कुछ कीजिए। बेचारियांे की चिंता स्वाभाविक है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. यूनियन हेल्थ मिनिस्टर और सीएम के कार्यक्रम में पानी के बोतल में सांप मिलने की गंभीरतम घटना के बाद भी कार्रवाई करने में देर क्यों की जा रही है?
2. किस सीनियर आईएएस का मामला पुलिस के पाले में पहुंच गया है?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें