, 3 अप्रैल
संजय दीक्षित
चाइना इंवेस्टर्स मीट में सीएम डा0 रमन सिंह के साथ आधा दर्जन से अधिक अफसरों का जत्था जा रहा है। टीम रमन चार अप्रैल को हांगकांग होते चीनी प्रांत हेनान की राजधानी जैनजांग पहुंचेगी और 12 को दिल्ली ’लौटेगी। अफसरों में सीएस विवेक ढांड, अमन सिंह, सुबोध सिंह, रजत कुमार, सौरभ कुमार, सुनिल मिश्रा, कार्तिकेय गोयल सीएम के साथ होंगे। 8 अप्रैल को जैनजांग में आयोजित ट्रेड फेयर के सीएम चीफ गेस्ट होंगे। यह पहला मौका होगा, जब आउट आफ कंट्री वहां के सरकारी कार्यक्रम में सीएम चीफ गेस्ट होंगे। सीएम हेनान के गवर्नर से मुलाकात कर नए रायपुर में निवेश की संभावनाएं टटोलेंगे। हेनान को कोर इंडस्ट्रीज, टेक्सटाईल्स और पेट्रोकेमिकल का हब माना जाता है। चलिये, टीम रमन के इस ट्रिप से छत्तीसगढ़ का कुछ भला हो जाए।
चाइना इंवेस्टर्स मीट में सीएम डा0 रमन सिंह के साथ आधा दर्जन से अधिक अफसरों का जत्था जा रहा है। टीम रमन चार अप्रैल को हांगकांग होते चीनी प्रांत हेनान की राजधानी जैनजांग पहुंचेगी और 12 को दिल्ली ’लौटेगी। अफसरों में सीएस विवेक ढांड, अमन सिंह, सुबोध सिंह, रजत कुमार, सौरभ कुमार, सुनिल मिश्रा, कार्तिकेय गोयल सीएम के साथ होंगे। 8 अप्रैल को जैनजांग में आयोजित ट्रेड फेयर के सीएम चीफ गेस्ट होंगे। यह पहला मौका होगा, जब आउट आफ कंट्री वहां के सरकारी कार्यक्रम में सीएम चीफ गेस्ट होंगे। सीएम हेनान के गवर्नर से मुलाकात कर नए रायपुर में निवेश की संभावनाएं टटोलेंगे। हेनान को कोर इंडस्ट्रीज, टेक्सटाईल्स और पेट्रोकेमिकल का हब माना जाता है। चलिये, टीम रमन के इस ट्रिप से छत्तीसगढ़ का कुछ भला हो जाए।
चाइनिज मक्खन
सीएम के चाइना टूर में एक ऐसे अफसर का नाम भी शामिल है, जिनका वहां कोई खास रोल नहीं होगा। दरअसल, अफसर की कुर्सी कुछ दिनों से डगमगा रही है। उन्होंने सोचा साब और साब के करीबी अफसरों को मक्खन लगाने का वहां बढि़यां मौका मिलेगा। इसलिए, उन्होंने अपना नाम जुड़वा लिया। मगर इसको लेकर ब्यूरोक्रेसी में खूब चुटकी ली जा रही है। मसलन, चाइना का सामान ड्यूरेबल नहीं होता। सो, चाइना के वातावरण में मक्खन भी ड्यूरेबल नहीं होगा।
पनिशमेंट पोस्टिंग?
97 बैच की महिला आईएएस निहारिका बारिक को सरकार ने बिलासपुर कमिश्नर पोस्ट किया है। देश में अभी कोई महिला कमिश्नर नहीं है। पहले कभी रही है, इसकी जानकारी भी नेट पर एवेलेवल नहीं है। दरअसल, एक कमिश्नरी में तीन से लेकर 10-10 जिले होते हैं। इतने कलेक्टरों को हैंडिल करना आसान नहीं होता। इसलिए, आमतौर पर महिलाएं दो-एक जिले की कलेक्टरी करने के बाद सचिवालय में काम करना बेहतर समझती है। इससे कामधाम भी चल जाता है और परिवार भी। ऐसे में, निहारिका को बिलासपुर कमिश्नर बनाया गया है तो इसके पीछे अपने कारण है। दरअसल, पांच साल का डेपुटेशन 31 जनवरी को पूरा होने के बाद निहारिका बिना छुट्टी स्वीकृत हुए दो महीने के अवकाश पर चली गईं थीं। हालांकि, सरकार ने उनके साथ हमेशा नरमी बरती। 2009 में जब वे पांच साल का डेपुटेशन करके छत्तीसगढ़ लौटी थीं तो उनकी इच्छा के अनुसार आते ही महासमुंद का कलेक्टर बना दिया था। साल भर के भीतर ही 2010 में वे फिर डेपुटेशन पर दिल्ली चली गईं। इतनी रियायतों के बाद बिना अनुमति छुट्टी पर चली जाना सरकार को नागवार गुजरा। निहारिका को झटका देना था इसलिए, मंत्रालय में पोस्ट नहीं किया गया। आफ्शन था कमिश्नरी। तो रायपुर और दुर्ग संभाग में पोस्ट करने से सरकार का मकसद नहीं सधता। बस्तर और सरगुजा? कुछ ज्यादा बेरहमी हो जाती। इसलिए, बिलासपुर को उपयुक्त माना गया। निहारिका अगर रायपुर में पोस्ट की जाती तो सैटर्डे, संडे को परिवार के पास दिल्ली जाने का उनके पास अवसर होता। लेकिन…..लेकिन इस चक्कर में सोनमणि बोरा को बिलासपुर से रायपुर शिफ्थ होना पड़ गया। हालांकि, बोरा का दो साल होने जा रहा था मगर निहारिका एपीसोड अगर नहंी आता तो वे कुछेक महीने और बिलासपुर में रहते।
पनिशमेंट पोस्टिंग-2
बीजापुर कलेक्टर यशवंत कुमार को सरकार ने न केवल छुट्टी कर दी बल्कि बिना विभाग के भी कर दिया। उन्हें मंत्रालय में संयुक्त सचिव बनाया गया है। विभाग? आर्डर में कोई उल्लेख नहीं। हालांकि, छुट्टी बलरामपुर कलेक्टर अलेक्स पाल मेनन की भी हुई है, मगर उनका रिहैबिलिटेशन बढि़यां हो गया। चिप्स सीईओ। पावरफुल सत्ता के एकदम नजदीक। मगर वे जिस सत्ता के करीब गए हैं, वहां उन्हें काम करना पड़ेगा। आरडीए वाला स्टाईल नहीं चलेगा। मनमानी भी नहीं। आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खिल्ली उड़ाने वाले कन्हैया के समर्थन में पोस्ट करने की आजादी भी नहीं होगी। यद्यपि, बस्तर कलेक्टर अमित कटारिया लकी निकले। दूसरी बार भी सब मैनेज हो गया। पहली बार, सरकार तब उनसे खफा हुई थी, जब उन्होंने पीएम मोदी की चाइना विजिट को फीका कर दिया था। रंगीन शर्ट और गागल लगाकर मोदी को वेलकम किया था। इस बार भी सरकार खुश नहीं थी। मगर लाबिंग का जमाना है। आईएएस मि़त्रों ने बचा लिया।
सवा-डेढ़ साल की कलेक्टरी
जिन आईएएस को कलेक्टर बनाकर जिलों में भेजा गया है, उनकी कलेक्टरी सवा या डेढ़ साल की होगी। क्योंकि, 2018 के विधानसभा चुनाव तक इनका पौने तीन साल हो जाएगा। सो, चुनाव आयोग के निशाने पर आ जाएंगे। समझा जाता है कि अगले साल मई-जून में चुनावी हिसाब से सरकार बिसात बिछाएगी, उसमें सब इधर-से-उधर हो जाएंगे। इसलिए, सरकार ने 2009 बैच के जिन अफसरों को छत्तीसगढ़ के तीन छोर पर भेजा है, उन्हें मायूस नहीं होना चाहिए।
33 फीसदी महिलाएं
27 में से छह जिलों में पहले से महिला कलेक्टर थीं। अब, डा0 प्रियंका शुक्ला और किरण कौशल भी जिले में पहुंच गई हैं। याने आठ महिला कलेक्टर। छत्तीसगढ़ से तीगुना बड़ा मध्यप्रदेश में भी इतने कलेक्टर नहीं हैं। उपर से बिलासपुर में कमिश्नर भी महिला। चलिये, रमन सरकार ने कम-से-कम आईएएस की फील्ड पोस्टिंग में 33 फीसदी आरक्षण का कोटा पूरा कर दिया है। अब, इन आठ जिलों में कम-से-कम महिलाओं की स्थिति सुधरनी चाहिए।
महिला जिला
मुंगेली भले ही नया और सूबे का छोटा जिला है मगर यह देश का पहला जिला बन गया है, जहां कलेक्टर, एसपी और सीईओ जिला पंचायत, तीनों महिला हैं। नीतू कमल एसपी, फरिया आलम सिद्दिकी पहले से जिपं सीईओ हैं। अब, किरण कौशल कलेक्टर बनकर पहुंच गई हैं। यही नहीं, डीएफओ भी श्रीमती विजय कुर्रे। नगर पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सवित्री सोनी, जिपं अध्यक्ष दुर्गा बघेल। कई जनपद अध्यक्ष भी महिलाएं। अब, पुन्नूराम मोहले जाने।
सेकेंड लिस्ट
कलेक्टरों की सेकेंड लिस्ट सीएम के चाइना से लौटने के बाद निकलेगी। हो सकता है 15 अप्रैल के आसपास भी निकल जाए। इसमें अंबिकापुर, दुर्ग, धमतरी, महासमुंद का नम्बर लग सकता है। बड़ी लिस्ट निकालने में पेचीदगियां काफी आती है। एक नाम पर भी अगर अड़चन आ गई तो पूरी लिस्ट अटक जाती है। रमन सिंह की पहली और दूसरी पारी का, आपको याद ही होगा। हो रहा है, हो रहा है, करते-करते महीनों निकल जाते थे। इसलिए, तीसरी पारी में सरकार छोटी लिस्ट निकाल रही है।
दुबई में बर्थडे
अजीत जोगी अबकी 29 अप्रैल को दुबई में अपना बर्थडे मनाएंगे। इस बार अमित जोगी नहीं होंगे। पत्नी और बहू रीचा उनके साथ होंगी। पिछला जन्मदिन उन्होंने श्रीलंका में मनाया था। श्रीलंका के बारे में बताने की जरूरत नहीं है। रावण से लेकर लिट्टे तक की गाथा वहीं से जुड़ी है। सो, राजनीतिक दृष्टि से जोगीजी का 2015-16 उतना बढि़यां नहीं गया। वे अबकी चकाचैंध भरे दुबई में जन्मदिन मना रहे हैं। दुआ कीजिए, अगला बरस दुबई की तरह ही चमकदार बीते।
गुड न्यूज
अभी तक सिर्फ जिलों में वीडियोकांफ्रेंसिंग की सुविधाएं थीं। मगर चिप्स में एक बड़ा काम करते हुए सभी 146 तहसीलों को नेटवर्किंग से जोड़ दिया है। 15 अप्रैल को इसका आगाज भी हो जाएगा। चीफ सिकरेट्री तहसीलों के अफसरों के साथ वीसी करेंगे। याने अब मानिटरिंग आसान हो जाएगी। कलेक्टर भी अब तहसीलों के सीधे कंटेक्ट में होंगे। यहीं नहीं, 60 हजार करोड़ के निर्माण कार्यों पर सीधे नजर रखने के लिए चिप्स ने एक साफ्टवेयर तैयार किया है। रायपुर के कंट्रोल रुप में बैठकर सभी कामों को नेट पर देखा जा सकेगा। अफसरों ने कब मुआयना किया, क्या टिप्स दिया, ये सब नेट पर रहेगा।
अंत में दो सवाल आपसे
1. 2009 बैच के आईएएस अपनी पोस्टिंग से खुश हैं?
2. क्या दुर्ग का अगला कलेक्टर भी 2005 बैच का होगा?
2. क्या दुर्ग का अगला कलेक्टर भी 2005 बैच का होगा?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें