22 अक्टूबर
संजय दीक्षित
रायपुर के एक बेहद छोटे से पोस्ट असिस्टेंट लेबर कमिश्नर शोयब काजी पर कार्रवाई को लेकर सरकार से लेकर ब्यूरोक्रेसी तक उलझ गई है। शोयब को सीएम के फंक्शन से गायब रहने पर प्रिंसिपल सिकरेट्री लेबर आरपी मंडल ने सस्पेंड किया था। इसके लिए उन्होंने नोटशीट भेजकर सीएम से बकायदा अनुमोदन लिया था। लेकिन, पहले तो लेबर मिनिस्टर भैयालाल राजवाड़े ने मंडल को न केवल नोटिस थमा दी बल्कि अफसर का निलंबन भी अवैध करार दिया। चूकि, कार्रवाई के लिए हरी झंडी सीएम ने दी थी, लिहाजा सरकार हरकत में आई और अफसर के सस्पेंशन के लिए मंत्रालय से आर्डर जारी किया गया। मंत्रालय का आदेश मिलते ही रायपुर कलेक्टर ओपी चौधरी ने डिप्टी कलेक्टर सीमा ठाकुर को असिस्टेंट लेबर कमिश्नर का चार्ज सौंप दिया। लेकिन, लेबर कमिश्नर अविनाश चंपावत को यह नागवार गुजरा। बताते हैं, लेबर एक्ट के अनुसार डिप्टी कलेक्टर को यह चार्ज नहीं दिया जा सकता। लिहाजा, लेबर कमिश्नर ने डिप्टी कमिश्नर की पोस्टिंग को खारिज कर दिया। सरकार के अफसरों में इस तरह टकराव से मैसेज अच्छा नहीं गया है। सड़क पर इस तरह टकराव को आखिर अराजकता ही तो कहा जाएगा।
संजय दीक्षित
रायपुर के एक बेहद छोटे से पोस्ट असिस्टेंट लेबर कमिश्नर शोयब काजी पर कार्रवाई को लेकर सरकार से लेकर ब्यूरोक्रेसी तक उलझ गई है। शोयब को सीएम के फंक्शन से गायब रहने पर प्रिंसिपल सिकरेट्री लेबर आरपी मंडल ने सस्पेंड किया था। इसके लिए उन्होंने नोटशीट भेजकर सीएम से बकायदा अनुमोदन लिया था। लेकिन, पहले तो लेबर मिनिस्टर भैयालाल राजवाड़े ने मंडल को न केवल नोटिस थमा दी बल्कि अफसर का निलंबन भी अवैध करार दिया। चूकि, कार्रवाई के लिए हरी झंडी सीएम ने दी थी, लिहाजा सरकार हरकत में आई और अफसर के सस्पेंशन के लिए मंत्रालय से आर्डर जारी किया गया। मंत्रालय का आदेश मिलते ही रायपुर कलेक्टर ओपी चौधरी ने डिप्टी कलेक्टर सीमा ठाकुर को असिस्टेंट लेबर कमिश्नर का चार्ज सौंप दिया। लेकिन, लेबर कमिश्नर अविनाश चंपावत को यह नागवार गुजरा। बताते हैं, लेबर एक्ट के अनुसार डिप्टी कलेक्टर को यह चार्ज नहीं दिया जा सकता। लिहाजा, लेबर कमिश्नर ने डिप्टी कमिश्नर की पोस्टिंग को खारिज कर दिया। सरकार के अफसरों में इस तरह टकराव से मैसेज अच्छा नहीं गया है। सड़क पर इस तरह टकराव को आखिर अराजकता ही तो कहा जाएगा।
वाह विधायकजी!
सरगुजा के एक विधायक को सत्ता के मद में थानेदार से फोन पर दुर्व्यवहार करना महंगा पड़ गया। बताते हैं, विधायक ने थानेदार को किसी मुजरिम को छोड़ने के लिए कहा था। थानेदार ने नहीं सुनी। इस पर नेताजी भड़क गए….फोन पर अ-शालीन शब्दों की बरसात कर डाली। विधायकजी को पता नहीं था कि उनका फोन टेप हो रहा है। थानेदार ने जिले और सरगुजा रेंज के सीनियर अफसरों को वह टेप सुनवा दिया। पुलिस अधिकारियों ने नेताजी को बुलवाकर जब टेप सुनवाया तो उनकी हालत पूछिए मत! उन्होंने सीनियर अफसरों के सामने हाथ ही नहीं जोड़ा बल्कि थानेदार से भी माफी मांगने में देर नहीं लगाई।
सकते में भूपेश खेमा
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ एवं गंभीर नेता मोतीलाल वोरा के तेवर से पूरी कांग्रेस पार्टी सकते में है। पार्टी प्रभारी पीएल पुनिया के ऐलान के बाद भूपेश बघेल की दोबारा ताजपोशी एकदम तय मानी जा रही थी। लेकिन, वोरा ने यह कहकर कि भूपेश अभी पीसीसी चीफ है…आगे कौन होगा, नहीं बता सकता….कांग्रेस में खलबली मचा दी है। वोरा गुट ने जिस तरह से अबकी दिवाली मनाने आए वोराजी के स्वागत में शक्ति प्रदर्शन किया, उससे भी भूपेश खेमा हैरान है। स्वागत ऐसा हुआ, वोरा को एयरपोर्ट से राजधानी के गीतानगर बंगले में पहुंचने में ढाई घंटे से अधिक समय लग गए।
तीन दिन टाईट
मंत्री से लेकर सूबे के कलेक्टर, एसपी के लिए 22 से लेकर 24 अक्टूबर तक बड़ा टाईट रहने वाला है। 22 को बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक है। इसमें बताते है, मंत्रियों से पूछा जाएगा कि पार्टी प्रमुख अमित शाह के निर्देशों का वे कितना पालन कर रहे हैं। वहीं, 23 को कलेक्टर और 24 को एसपी कांफ्रेंस है। दोनों दिन कांफें्रस में सीएम दिन भर रहेंगे। जाहिर है, अब सरकार रिव्यू के लिए कलेक्टर्स, एसपी को तलब कर रही है तो टेंशन तो रहेगा ही।
एसपी के लिए सेपरेट टाईम
पिछले 9 एवं 10 जनवरी को कलेक्टर्स, एसपी कांफ्रेंस में एसपी का अलग से रिव्यू नहीं हुआ था। अलबत्ता, 10 को दोनों को एक साथ बिठाया गया। इस बार 24 को फर्स्ट हाफ में कलेक्टर्स, एसपी की सीएम ज्वाइंट मीटिंग लेंगे। इसके बाद सेकेंड हाफ में सिर्फ एसपी का रिव्यू होगा। एसपी का इसलिए अलग से रखा गया है क्योंकि, कलेक्टर्स के साथ एक तो एसपीज को टाईम नहीं मिलता। और, फिर कलेक्टरों के सामने खुलकर वे अपनी बात नहीं रख पाते। सो, तय किया गया है कि एसपी को एक हाफ अलग से दिया जाए। हालांकि, अच्छा होता कि एसपी को फर्स्ट हाफ में रखा जाता। दो साल पहले भी एसपी को अलग से बिठाया गया था। लेकिन, दिन भर कलेक्टर्स कांफ्रेंस में सरकार इतनी थक गई थी कि एसपी के साथ मीटिंग भाषणों में सिमट गई थी।
सरकार पर प्रेशर
11 साल बाद राज्योत्सव में फिर से राष्ट्रपति आ रहे हैं। सात नवंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समापन समारोह के चीफ गेस्ट होंगे। इससे पहिले 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे कलाम आए थे। समापन समारोह में राष्ट्रपति दो दर्जन से ज्यादा राज्य सम्मान भी प्रदान करेंगे। राष्ट्रपति के हाथों सम्मान मिलना है, इसलिए सरकार पर प्रेशर तेज हो गए हैं। पुरस्कारों के लिए चौतरफा फोन आ रहे हैं। लेकिन, सरकार के सामने दिक्कत यह है कि 17 सालों में सभी ठीक-ठाक लोगों को पुरस्कार मिल गए हैं। अब जो नाम आ रहे हैं, सरकार के सामने माथा सिकोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. डेढ़ साल से किसी खास मकसद के लिए मुख्य सूचना आयुक्त की कुर्सी रिजर्व रखने के बाद सरकार अब किस उलझन में फंस गई है?
2. किस आईएएस पर सरकार की भृकुटी तनी है….हो सकता है, जल्द ही उसका बुरा समय आ जाए?
2. किस आईएएस पर सरकार की भृकुटी तनी है….हो सकता है, जल्द ही उसका बुरा समय आ जाए?
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