मंगलवार, 30 जनवरी 2018

गुरू ज्ञान केंद्र

यह एक इत्तेफाक हो सकता है, मगर पुराने मंत्रालय के सामने का इलाका अब रिटायर नौकरशाहों का रिहैबिलिटेशन जोन बन गया है। राज्य निर्वाचन आयुक्त ठाकुर राम सिंह यहां पहले से थे। अब टॉप लेवल के तीन और आ गए हैं। विवेक ढांड, एमके राउत और डीएस मिश्रा। तीन महीने पहिले सहकारिता आयोग के चेयरमैन बनकर डीएस मिश्रा आए। फिर, मुख्य सूचना आयुक्त एमके राउत और लास्ट में रेरा चेयरमैन विवेक ढांड भी। मुख्य सूचना आयुक्त और रेरा की बिल्डिंग तो एकदम अगल-बगल है। खाली रहने पर ढांड और राउत खिड़की खोलकर बतिया सकते हैं। यही नहीं, रिटायर होने के बाद आरपी जैन भी विभागीय जांच आयुक्त बन इसी जोन में टाईम बिता रहे हैं। रिटायर आईएएस अशोक अग्रवाल और रिटायर पीसीसीएफ एके सिंह भी सूचना आयुक्त हैं। इस रिहैबिलिटेशन जोन में कम-से-कम आधे दिन का समय लेकर जाना चाहिए। क्योंकि, इससे कम में होगा भी नहीं। वैसे, यंग ब्यूरोक्रेट्स को गुरू ज्ञान के लिए इस जोन में जाना ही चाहिए। वहां डिफरेंट टाईप के ज्ञानी लोग बैठे हैं। फास्ट काम करने से लेकर काम कैसे नहीं करना है….बिना काम किए भी अच्छा कैसे कहलाया जा सकता है….जनता को उल्लू बनाना, नेताओं को मिसगाइड करना….कम्बल ओढ़कर घी पीना….मलाईदार पोस्टिंग प्राप्ति गुर….क्रीज पर टिकने का कौशल…..रिटायरमेंट के बाद मनचाही पोस्टिंग प्राप्ति कला से लेकर तमाम तरह के तीन-तिकड़म, गुणा-भाग सब सिखने को मिल जाएगा। ऐसे गुरू ज्ञान केंद्र में अफसरों को तो मत्था टेकना ही चाहिए न।

सीएस की उलझन

खबर है, नए चीफ सिकरेट्री अजय सिंह बंगले को लेकर उलझन में हैं। सिंह पिछले 17 साल से शंकर नगर के सरकारी आवास में रह रहे थे। सीएस बनने के बाद उन्हें अब चीफ सिकरेट्री के इयर मार्क बंगले में शिफ्थ होना पड़ेगा। विवेक ढांड ने रेरा का आर्डर निकलने से पहिले ही इस बंगले को खाली कर दिया था। सीएस के सामने दिक्कत यह है कि नए बंगले में जाने पर उन्हें अपना पुराना घर खाली करना होगा। दो बंगला वे रख नहीं सकते…..लोग लगेंगे उंगली उठाने। और, खाली कर दिए तो….? दो साल बाद जब रिटायर होंगे, तो बेचारे कहां जाएंगे। पत्नी मेडिकल कॉलेज की डीन हैं….राजधानी में उन्हें ठीक-ठाक सरकारी घर कहां मिलेगा। जाहिर सी बात है, 17 साल से जिस घर में रह रहे हों तो दिक्कत तो होगी। फिर, पुराना बंगला उनके लिए शुभ भी तो रहा है….मुख्य सचिव की कुर्सी तक पहुंच गए।

चुनाव आयोग का लोचा

हफ्ते भर के भीतर छत्तीसगढ़ के दो आईएएस विदेश यात्रा से वंचित हो गए। विवेक ढांड और सुब्रत साहू। दोनों के लगेज तैयार था। लेकिन, विदेश यात्रा का योग नहीं था। ढांड तो रेरा चेयरमैन अपाइंट होने के कारण टीम रमन के ऑस्ट्रेलिया विजिट में शामिल नहीं हो पाए। सुब्रत में चुनाव आयोग ने अडं़गा लगा दिया। दरअसल, सुब्रत राज्य निर्वाचन अधिकारी हैं। लिहाजा, भारत निर्वाचन आयोग उनकी अथॉरिटी है। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर के साथ श्रीलंका जाने के लिए अनुमति मांगी। लेकिन, आयोग ने स्पष्ट तौर पर इंकार कर दिया। इसके कारण उनकी टिकिट केंसिल कराई गई है। इसीलिए तो कोई अफसर राज्य निर्वाचन अधिकारी बनना नहीं चाहता। इस पोस्ट पर राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहता। विदेश जाने के मौसम में छोटे-छोटे अफसर फॉरेन जा रहे हैं। लेकिन, प्रिंसिपल सिकरेट्री होने के बाद भी आयोग ने उन्हें रोक दिया।

यूपी में दम है

कांग्रेस की नई कार्यकारिणी के बाद पार्टी कितनी मजबूत हुई है, इस बारे में कुछ कहना अभी जल्दीबाजी होगी। मगर इतना तो सही है कि सूची जारी होने के बाद पार्टी प्रभारी पीएल पुनिया बेहद ताकतवर हो गए हैं। लिस्ट जारी होने के बाद पूरी पार्टी उनके पीछे दौड़ रही है। आखिर कौन नहीं है….माटी पुत्र कांग्रेसी से लेकर गैर माटी पुत्र तक। पांच-पांच, छह-छह बार के विधायक, मंत्री सांसद, पूर्व केंद्रीय मंत्री तक। रिटायर ब्यूरोक्रेट्स पुनिया यूपी से हैं। वे न कभी विधायक रहे, न मंत्री। राजनीति पोस्ट के तौर पर सिर्फ केंद्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष का तजुर्बा है। इसके बाद भी कमाल देखिए! ठीक ही कहते हैं, यूपी में दम है। छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी में जिधर देखिए, यूपी वाले ही मिलेंगे।

कलेक्टरों की लिस्ट

टीम रमन के ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद कभी भी कलेक्टरों की लिस्ट निकल सकती है। हालांकि, 5 फरवरी से विधानसभा का बजट सत्र प्रारंभ होने जा रहा है। लेकिन, अब तो सत्र के दौरान भी ट्रांसफर हो जाते हैं। इसलिए, सत्र का भी लोचा नहीं है। वैसे, लिस्ट छोटी ही होगी। अधिकतम आधा दर्जन जिले प्रभावित हो सकते हैं। वैसे, दो-एक बड़े जिलों के पुअर पारफारमेंस वाले कलेक्टरों को भी बदलने की भी चर्चा है। बहरहाल, सरकार चाहेगी कि नए कलेक्टरों को जिले को समझने का मौका मिले। अगस्त में चुनाव अचार संहिता प्रभावशील हो जाएगी। इसलिए, लगता नहीं कि अब इस कार्य में सरकार देर करना चाहेगी।

श्रीलंका पर सवाल

विदेश जाने के इस मौसम में एक-के-बाद एक मिनिस्टर फॉरेन जा रहे हैं। केदार कश्यप निकल चुके हैं। अजय चंद्राकर और राजेश मूणत रवाना होने वाले हैं। मूणत तो अबकी गणतंत्र दिवस भी चीली-वीली में कहीं मनाएंगे। लोगों को आश्चर्य अजय चंद्राकर के श्रीलंका यात्रा पर हो रहा है। श्रीलंका तो अपने पैसे से भी जाया जा सकता है। और फिर मंत्री श्रीलंका, नेपाल और मालद्वीप जैसे देशों में थोड़े ही जाता है। यूएस, यूरोप जाना चाहिए। चंद्राकर को कम-से-कम अपने अफसरों का तो खयाल करना चाहिए था। जा रहे हैं विदेश और नाम है श्रीलंका।

मैं तुझसे मिलने आई….

इस हफ्ते दो व्हाट्सएप खूब मूव हुए। पहला, इजराइली पीएम नेतन्याहू का….नेतन्याहू छत्तीसगढ़ के मूल वाशिंदे हैं….उनका असली नाम नेतराम साहू है। और दूसरा, बरसो पहले गाया गया गाना….मैं तुझसे मिलने आई, मंदिर जाने के बहाने…..इस बार सही उतरेगा….14 फरवरी को वेलेंटाईन डे है और महाशिवरात्रि भी।

अंत में दो सवाल आपसे

1. सीडी कांड में सीबीआई ने किन दो बड़े लोगों के खिलाफ पुख्ता साक्ष्य जुटा लिया है?
2. जोगी कांग्रेस की विधानसभा प्रत्याशियों की तीसरी लिस्ट क्यों अटक गई है?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें