मंगलवार, 30 जनवरी 2018

गुड मार्निंग सर….

सीएम के ऑस्ट्रेलिया से लौटने के बाद कलेक्टरों के ट्रांसफर की अटकलें शुरू हो गई है। दरअसल, एसपी की लंबी लिस्ट निकलने के बाद कलेक्टरों की सूची भी निकलनी थी। लेकिन, सीएम की व्यस्तता के चलते चर्चा हो नहीं पाई। और, 13 जनवरी को वे ऑस्ट्रेलिया विजिट पर रवाना हो गए। वहां से उनके लौटने के बाद कलेक्टरों की धुकधुकी एक बार फिर तेज हो गई है। सीनियर अफसरों को वे रोज सुबह-शाम गुड मॉर्निंग और गुड इवनिंग का मैसेज भेज रहे हैं। ताकि, लिस्ट बनते समय कम-से-कम उनका नाम तो याद रहें।

वेटिंग कलेक्टर्स

दीगर राज्यों में 2011 बैच के कलेक्टर दूसरा जिला कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में अभी 2010 बैच ही पूरा नहीं हुआ है। इस बैच की रानू साहू बच गई हैं। 2011 बैच में भी एक-दो नही, पूरे छह आईएएस हैं। अब सबको इस सरकार में चांस मिलना मुमकिन नहीं है। बहुत हुआ तो दो। बाकी को विधानसभा चुनाव तक वेट करना होगा। कलेक्टरों की लिस्ट बनाते समय सरकार को इस पर भी मशक्कत करनी होगी। राप्रसे से आईएएस बने अफसरों की भी अपनी दावेदारी है। सरकार प्रमोटी कलेक्टरों की संख्या और बढ़ाने पर विचार कर रही है। अभी प्रमोटी कलेक्टरों की संख्या छह है। दुर्ग, जगदलपुर, कांकेर, नारायणपुर, मुंगेली और कोरिया। याने छह। पिछले चुनाव के समय 11 प्रमोटी कलेक्टर्स थे। जाहिर है, सरकार कम-से-कम चार प्रमोटी को और जिलों में भेजना चाहेगी। इस बार विधानसभा चुनाव कुछ अलग टाईप का होगा। जातिगत दांव-पेंच भी अजमाए जाएंगे। ऐसे में, कलेक्टरों की लिस्ट में जाति का तड़का भी लगेगा ही। सर्वाधिक फोकस इस बार दलित वोटों पर होगा। सरकार के पास दो दलित कलेक्टर हैं और दोनों आदिवासी इलाका बस्तर में। ट्राईबल की संख्या भी दो ही है…..सिर्फ मुंगेली और कोरिया। पिछले विधानसभा चुनाव में सिर्फ बस्तर में ही तीन आदिवासी कलेक्टर थे। जगदलपुर में भी ट्राईबल कलेक्टर रहे एमएस परस्ते। इस बार बस्तर में एक भी आदिवासी कलेक्टर नहीं हैं। लगता है, इसी गुणा-भाग में कलेक्टरों की लिस्ट में देरी हो रही है।

ग्रह-दशा का फेर

88 बैच के सबसे सीनियर आईपीएस संजय पिल्ले को इस महीने डीजी बन जाना था। लेकिन, बैच के चक्कर में बेचारे उलझ गए हैं। दरअसल, 88 बैच में तीन आईपीएस हैं। संजय के अलावा आरके विज और मुकेश गुप्ता। मगर पोस्ट एक ही वैकेंट है। राज्य सरकार चाहती है कि तीनों को एक साथ डीजी बनाया जाए। इसके लिए प्रयास किया जा रहा है…. भारत सरकार से दो और पोस्ट की मंजूरी मिल जाएं। पुराने चीफ सिकरेट्री ने केंद्रीय गृह सचिव को डीओ लेटर लिखा था। लेकिन, बात बनी नहीं। सरकार अब ऑस्ट्रेलिया से लौटी है तो लोगों की उत्सुकता बढ़ी है। वैसे, राज्य और केंद्र में एक ही पार्टी की सरकार है….छत्तीसगढ़ में 15 साल के सीएम भी…..इसलिए माना जा रहा है कि सरकार को कामयाबी मिल जाएगी। फिलहाल, संजय पिल्ले को इंतजार करना होगा।

शराब और संस्कृति

सरकार की कुछ पोस्टिंगे बड़ी बेमेल होती है। आईएएस जीतेंद्र शुक्ला को सरकार ने पहिले दारु बेचने का काम सौंपा और अब संस्कृति विभाग का डायरेक्टर बना दिया है। याने शराब और संस्कृति साथ-साथ। वैसे पता नहीं क्यों, दारु बिकवाने का काम सरकार पंडितों को ही सौंपती है। गणेश शंकर मिश्रा भी लंबे समय तक शराब विभाग के कमिश्नर रहे और सिकरेट्री भी। उनके बाद अशोक अग्रवाल इस पद पर जरूर आए, मगर सेकेंड पोजिशन पर जीतेंद्र शुक्ला को सरकार ने बिठा दिया। इसी तरह हेल्थ डिपार्टमेंट में जंगल विभाग के अधिकारी अनिल साहू सिकरेट्री हैं। अब, भला जंगल और हेल्थ का क्या संबंध?

गणेश होंगे रेरा मेम्बर?

विवेक ढांड को रेरा का चेयरमैन बनाने के बाद अब उसके दो मेम्बर्स अपाइंट करने का प्रासेज जल्द ही शुरू होगा। हालांकि, रेरा चेयरमैन के साथ मेम्बर्स के लिए भी आवेदन जमा किए गए थे। लेकिन, कमेटी ने सिर्फ चेयरमैन का नाम तय कर बाकी को खारिज कर दिया था। रेरा मेम्बर के लिए वैसे तो एक दर्जन से अधिक दावेदारी सामने आ रही है। लेकिन, अक्टूबर में रिटायर हुए प्रिंसिपल सिकरेट्री गणेश शंकर मिश्रा इसके मजबूत दावेदार हैं।

11 साल में 5000 पौधे

वर्ल्ड में सबसे महंगे पौधे छत्तीसगढ़ के वन विभाग के नर्सरी में तैयार हो रहे हैं। इस गौरवमयी उपलब्धि का खुलासा 23 जनवरी को विभाग के प्रेजेंटेशन के दौरान हुआ तो सीएस अजय सिंह भी हैरान रह गए। दरअसल, सीएस सभी विभागों के कामकाज को समझने के लिए इन दिनों रिव्यू कर रहे हैं। फॉरेस्ट की बारी आई तो सीएस ने पौधे तैयार करने की व्यवस्था और उसके रिजल्ट पर सवाल किया। अरण्य भवन के अफसरों ने उन्हें बताया कि डेढ़ करोड़ की लागत से टिश्यू कल्चर बनाया गया है। वहां 5 हजार पौधे तैयार किए गए हैं। सीएस ने पूछा, कितने दिन में? अफसरों ने बताया 11 साल में। इस पर सीएस कुछ देर तक शून्य से हो गए।

अच्छे दिन आयो रे

वन विभाग भले ही 11 साल में पांच हजार पौधे उगाता हो लेकिन, अब उसके अच्छे दिन आ गए हैं। आरा मिल प्रकरण में एक-एक करके सभी को बरी कर दिया गया था। सिर्फ दो माटी पुत्र बच गए थे। अब दोनों को राहत मिलने के संकेत मिल रहे हैं। वहीं, खबर है पीसीसीएफ के दो पदों के लिए डीपीसी होने जा रही है। इसमें एके द्विवेदी और केसी यादव को पीसीसीएफ बनने का मौका मिल सकता है। वजह? अब बदले की भावना वाला मामला नहीं रह गया है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. रियल इस्टेट के बड़े खिलाड़ियों ने किस अफसर के सम्मान में कचना के फार्म हाउस में कॉकटेल पार्टी दी?
2. सरकार का ऐसा कौन सा विभाग है, जिसमें सिर्फ बाहरी ठेकेदारों एवं सप्लायर्स को काम दिया जाता है?

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