मंगलवार, 16 जनवरी 2018

ऐ दिल है मुश्किल…!

7 दिसंबर
वेटिंग सीएस अजय सिंह का प्रोबेशन इतना लंबा खींचता जा रहा है कि अब लोग भी कहने लगे हैं सरकार माटी पुत्र के धैर्य की परीक्षा ले रही है। कहां, दिसंबर को लेकर उम्मीदें थी। अब जनवरी आया तो टीम रमन का ऑस्ट्रेलिया ट्रिप। वहां से लौटते ही 5 फरवरी से विधानसभा। फिर, उसके बाद मार्च में लोक सुराज। जरा सोचिए! इन कड़ियों को जोड़कर अजय सिंह का दिल बैठने नहीं लगता होगा। पंडरिया के इस ठाकुर अफसर की पीड़ा उनके मोबाइल के रिंग टोन से समझी जा सकती है…..तू ही सफर मेरा….तू ही मेरी मंजिल….तेरे बिना गुजारा…..ऐ दिल है मुश्किल। कम-से-कम ठाकुरों को ठाकुर की पीड़ा को समझना चाहिए।

बड़ी देर कर दी….

आईएएस अजय सिंह ही नहीं, छत्तीसगढ़ के 11 आईपीएस प्रमोशन के लिए दिसंबर से टकटकी लगाए हैं। अलबत्ता, डीआईजी कहलाने का चार्म भी धीरे-धीरे खतम होते जा रहा है। आखिर, कोई भी चीज समय पर होता है तो उसका एनजायमेंट है। लेकिन, गृह विभाग का क्या किया जा सकता है। अगर प्रमोशन के लिए भारत सरकार को टाईम पर लेटर चला गया होता, तो ये नौबत नहीं आती। होम ने चार दिसंबर को मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर से अनुमति मांगी। नियम यह है कि एक महीने के भीतर अगर भारत सरकार से कोई रिस्पांस नहीं आया तो राज्य सरकार प्रमोशन करने के लिए स्वतंत्र हो जाती है। गृह विभाग अगर नवंबर में पत्र भेज दिया होता तो दिसंबर में ही डीपीसी हो गई होती। बहरहाल, डीजीपी एएन उपध्याय के डीजी कांफ्रेंस के सिलसिले में छत्तीसगढ़ से बाहर होने के चलते एसपी के प्रमोशन अब आठ जनवरी के बाद ही होंगे। डीजीपी प्रमोशन कमेटी के मेम्बर होते हैं।

लिस्ट में संशोधन

दुर्ग और बिलासपुर में नए आईजी की पोस्टिंग के बाद एसपी की लिस्ट में कुछ संशोधन हो सकते हैं। मसलन, प्रखर पाण्डेय। प्रखर का नाम राजनांदगांव के लिए चल रहा था। लेकिन, हो सकता है, उन्हें सीएम सिक्यूरिटी में ही कंटीन्यू किया जाए। क्योंकि, सीएम सिक्यूरिटी के लिए सरकार को ढंग का कोई अफसर नजर आ नहीं रहा। फिर, प्रखर को सीएम हाउस से बाहर निकालने पर वहां पोस्टेड और कई डीएसपी खड़े हो जाएंगे…हमें भी फील्ड में भेजो। अगर प्रखर राजनांदगांव नहीं गए तो वहां के एसपी प्रशांत अग्रवाल भी हो सकता है, वहीं कंटीन्यू करें। प्रशांत का पहले दुर्ग के लिए नाम चल रहा था। लेकिन, जीपी अब दुर्ग के आईजी बन गए हैं। जीपी ऐसे आईजी हैं कि कमजोर एसपी हो, तब भी काम चला लेंगे। रायपुर में उनके आईजी रहने के दौरान ओपी पाल लंबे समय तक एसपी रहें…इसके आप समझ सकते हैं। सरकार में उच्च स्तर पर बैठे लोग जीपी की इस प्रतिभा से वाकिफ हैं। सो, दुर्ग में कोई लो प्रोफाइल का या फिर जूनियर एसपी पोस्ट हो जाए, तो अचरज नहीं। ऐसा ही कुछ बिलासपुर में भी हो सकता है।

अब हवाई जहाज

छत्तीसगढ़ में कभी उड़ीया लॉबी सरकार चलाती थी। एसके मिश्रा जोगी के बाद रमन सरकार में भी सीएस रहे। एमके राउत का भी अपना रुतबा रहा। अब आईएएस में बच गए हैं सिर्फ सुब्रत साहू। चलिये, उड़ीसा के अफसरों की सरकार चलाने में भूमिका कम हो गई तो क्या हुआ, अब उनकी कंपनी छत्तीसगढ़ में जहाज चलाएगी।

छत्तीसगढ़ के गौरव

माटी पुत्र आईएएस जगदीश सोनकर को सरकार ने धमतरी जिला पंचायत सीईओ से हटाकर दंतेवाड़ा भेज दिया। दंतेवाड़ा के सीईओ गौरव सिंह अब धमतरी के नए सीईओ होंगे। धमतरी पंचायत मंत्री का गृह जिला है, सो वहां के लिए पसंद कर लाए जाने पर गौरव के दंतेवाड़ा के चाहने वालों ने ऐसी बिदाई दे डाली कि सुनील कुमार, विवेक ढांड और एमके राउत जैसे अफसरों ने ऐसी बिदाई की कल्पना नहीं की होगी। राजनांदगांव कलेक्टर मुकेश बंसल को वहां की एक सभा में सीएम खुद बोलकर लाए कि आपके सबसे बेहतरीन अफसर को और बड़ा काम करने के लिए मैं रायपुर लेकर जा रहा हूं और वे अपने साथ उन्हें हेलिकाप्टर में रायपुर लाएं। इसके बाद भी मुकेश की बिदाई कब हो गई, किसी को पता ही नहीं चला। एजुकेशन सिटी से सुर्खियां बटारने वाले ओपी चौधरी के फेयरवेल का पता नहीं चला। लेकिन, गौरव के फेयरवेल पर दंतेवाड़ा में जो जश्न हुआ, उसमें पैसे पानी की तरह बहाए गए। आसपास के कई कलेक्टर और एसपी भी उसमें शिरकत करने पहुंचे। विधायक देवती कर्मा समेत जनप्रतिनिधि से लेकर बड़े ठेकेदार, सप्लायर भी थे। आईएएस को कंधे पर बिठाकर भांगड़ा किया गया। ठीक है, दंतेवाड़ा में पैसे बेहिसाब है। करोड़ों रुपए माईनिंग फंड में आ रहा है। लेकिन, सरकार को कुछ करना चाहिए। कम-से-कम यंग आईएएस सीमाओं का ध्यान रखें।

शैलेंद्र सिंह की याद

अंबिकापुर कलेक्टर किरण कौशल ने वहां के डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पर अपना ध्यान फोकस किया है। डाक्टरों की मौजूदगी से लेकर तमाम चीजों पर नजर रखने के लिए उन्होंने एप बनवाया है। बताते हैं, इसके आशातीत नतीजे मिल रहे हैं। डॉक्टर टाईम से अस्पताल आने लगे हैं। इस खबर को पढ़कर 87 बैच के तेज-तर्रार आईएएस शैलेष सिंह की याद ताजा हो गई। मुश्किल से डेढ़ साल बिलासपुर का कलेक्टर रहने का उन्हें मौका मिला। 99 मध्य से नवंबर 2000 तक। और, उन्होंने लोगों को बताया कि कलेक्टर अगर चाहे तो कुछ भी कर सकता है। जिला अस्पताल जो अब सिम्स बन गया है, कलेक्टर ने ऐसी व्यवस्थाएं बनाई कि लोग आज भी उन्हें याद करते हैं। अस्पताल पर नकैल कसने के लिए रोस्टर में रोज एक डिप्टी कलेक्टर की उन्होंने अस्पताल में ड्यूटी लगा दी थी। शहर में रहने पर वे खुद भी एक बार अस्पताल जाते थे। लेकिन, अब के कलेक्टरों को अस्पताल प्राथमिकता में रहा नहीं। एकाध इनोवेशन का काम पकड़कर सरकार से शाबासी ले लों। बाकी, अस्पताल में आम आदमी भेड़-बकरियों की तरह धक्के खा रहा है, तो खाने दो। भगवान ने आम आदमी इसीलिए तो बनाया है। चलिये, अच्छी बात है….एक महिला कलेक्टर ने उस संस्थान की सुध ली है, जहां 70 से 80 फीसदी दुखी-पीड़ित लोग पहुंचते हैं।

मंत्री की भड़ास

सीएम के साथ 5 दिसंबर को सरगुजा और जशपुर गए पीडब्लूडी मिनिस्टर राजेश मूणत वहां के एक आईएएस पर भड़क गए। हेलीपैड पर सीऑफ करने आए अफसर को मूणत यहां तक कह गए कि तुम्हारी शिकायत सौदान भाई साब तक पहुंच गई….देख लो, वरना तुम निबट जाओगे। अब लोग पता लगा रहे हैं कि माजरा क्या है। और, ये भी कि सरकार का इकबाल इतना कमजोर हो गया है कि मंत्री भी अफसरों को सौदान सिंह का नाम लेकर चमका रहे हैं।

ऐसे भी अफसर

भई! आईएफएस अफसरों का जवाब नहीं है। एक एडिशनल पीसीसीएफ के लेवल के अफसर मेडिसिनिल प्लांट बोर्ड में सीईओ रहे। जनाब ने वहां के संसाधनों का जमकर दुरु-उपयोग किया। और, वहां से हटे तो लेपटॉप, आईपैड, आईफोन और गाड़ी भी लेते गए। छह महीने बाद भी उन्होंने इसे लौटाया नहीं है। वर्तमान सीईओ शिरीष अग्रवाल ने अब परेशान होकर सरकार से दरख्वास्त किया है….अफसर से बोर्ड का सामान वापिस कराया जाए। इस एपीसोड से यह भी साफ हो गया है कि सरकारी धन को अफसर किस तरह अपना समझने लगते हैं। आखिर, आईफोन और आई पैड भी सरकारी खजाने से।

सीट आरक्षित

टीम रमन 13 को 12 दिन के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर रवाना हो रही है। टीम में सीएम के साथ सीएस, पीएस टू सीएम, सिकरेट्री इंडस्ट्री और एमडी सीएसआईडीसी के साथ डीपीआर राजेश टोप्पो शामिल हैं। राजेश पिछले बार भी साथ में थे। उससे पहिले सीएम के साथ कभी डीपीआर विदेश नहीं जाते थे। लेकिन, पिछले विदेश दौरे का मीडिया में जिस तरह कवरेज हुआ उसके बाद लगता है, सरकार ने डीपीआर के लिए एक सीट आरक्षित कर दी है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एक आईएफएस अफसर का नाम बताएं, जो संपत्ति के ब्यौरा में राजधानी के मौलश्री विहार के मकान की कीमत में 20 लाख रुपए का अंतर बता दिया है?
2. छत्तीसगढ़ में हवाई सेवा शुरू करने वाली कंपनी में क्या प्रदेश के किसी कांग्रेस नेता की भी हिस्सेदारी है?

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