तरकशः 28 मई 2023
संजय के. दीक्षित
3 पूर्व IAS अबकी चुनावी मैदान में!
प्रोफेसर से आईएएस बने नीलकंठ टेकाम अब पॉलिटिशियन बनने जा रहे हैं। उन्होंने आईएएस से वीआरएस लेने के लिए अप्लाई कर दिया है। टेकाम ने अभी ये साफ नहीं किया है कि कांग्रेस के साथ सियासी पारी शुरू करेंगे या बीजेपी के साथ। मगर अटकलों का बाजार बीजेपी को लेकर ज्यादा है। 2018 के विस चुनाव के दौरान भी उनके बीजेपी से चुनाव लड़ने की चर्चा बड़ी तेज थी। मगर मामला कुछ जमा नहीं। टेकाम के करीबी लोगों का कहना है, केशकाल विधानसभा से उन्होंने चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। कोंडागांव में वे करीब पौने तीन साल कलेक्टर भी रहे हैं। केशकाल कोंडागांव में आता है। सो, केशकाल में उन्हें पहचान का संकट नहीं आएगा। बहरहाल, इस बार तीन पूर्व आईएएस अधिकारियों के चुनावी मैदान में किस्मत आजमाना तय है। कांग्रेस से एसएस सोरी अभी कांकेर से विधायक हैं। बीजेपी से ओपी चौधरी चंद्रपुर या रायगढ़ से चुनाव लड़ेंगे। और अब नीलकंठ टेकाम भी वार्म अप हो रहे। उधर, पूर्व आईएएस जीएस मिश्रा भी टिकिट की दौड़ में हैं। देखना है, उन्हें इसमें कामयबी मिलती है या नहीं।
लिस्ट अच्छी मगर...
एसपी की बहुप्रतीक्षित लिस्ट आखिरकार जारी हो गई। सरकार ने 12 जिलों के पुलिस अधीक्षकों का बदल दिया। इनमें कुछ का कद और प्रभाव बढ़ा, तो कुछ का महत्व कम हुआ। कांकेर एसपी शलभ सिनहा की रेटिंग अच्छी है, इसलिए वीवीआईपी जिला दुर्ग के लिए उनका नाम तय था। और वही हुआ। अभिषेक पल्लव का नाम रायपुर के लिए चर्चा में था। मगर रायपुर एसपी प्रशांत अग्रवाल को सरकार ने फिलहाल चेंज करना मुनासिब नहीं समझा। ऐसे में, अभिषेक को दुर्ग से कवर्धा जाना पड़ा। लिस्ट में बेमेतरा के एसपी आईके ऐलेसेला को एसपी में कंटीन्यू करते हुए सूरजपुर भेजने से आईपीएस बिरादरी में भौंचक है। बेमेतरा में छत्तीसगढ़ की पहली सांप्रदायिक हिंसा हुई। तीन लोगों को जान गंवानी पड़ी। ऐलेसेला को बेमेतरा से भी ठीक-ठाक जिला सूरजपुर भेजकर गृह विभाग क्या संदेश देना चाह रहा...किसी को समझ में नहीं आ रहा। इसी तरह दंतेवाड़ा जैसे जिले से सिद्धार्थ तिवारी को मनेंद्रगढ़ जैसे नए जिले की कमान सौंपना भी थोड़ा चौंकाया। सुकमा में लंबे समय तक काम करने के बाद सरकार ने सुनील शर्मा को सरगुजा जैसे बड़े जिले की जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि, इलेक्शन ईयर में सरगुजा में उन्हें कई सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। रिफाइनरी और रेत को लेकर पुलिस आरोपों के घेरे में है। बलरामपुर से मोहित गर्ग का हटना तय माना जा रहा था। विधायक बृहस्पति सिंह उनसे काफी नाराज थे। विधायक ने एसपी को बर्खास्त करने की मांग करते पूरे शहर में पोस्टर लगवा दिए थे। इसलिए, सरकार ने मोहित को बटालियन भेज दिया। उनकी जगह कवर्धा से डॉ0 लाल उम्मेद सिंह को बलरामपुर भेजा गया है। लाल उम्मेद बैलेंस करके काम करने वाले अफसर हैं। सरकार को उम्मेद से उम्मीद होगी कि वे बृहस्पति की उम्मीदों पर खरे उतरें।
पीएससी चेयरमैन की विदाई
पीएससी चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी इस साल सितंबर में रिटायर हो जाएंगे। सितंबर में उनका 62 कंप्लीट हो जाएगा। याने उनके पास महज चार महीने का वक्त बचा है। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ के ये माटी पुत्र छत्तीसगढ़ के मानव संसाधन को विकसित करने के लिए दिन-रात एक कर दिए हैं। उनकी कोशिश है कि जाते-जाते पीएससी का एक बैच और क्लियर करके जाएं। जाहिर है, उन्होंने प्रिलिम्स का रिजल्ट घोषित करने के बाद महीने भर के कम समय में मुख्य परीक्षा का डेट निकाल दिया। संकेत हैं, रिटायरमेंट से पहले इंटरव्यू करके कई सारे डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी की भर्ती कर जाएंगे। सोशल मीडिया में लोग उन्हें नाहक बदनाम कर हैं...भाई-भतीजावाद का आरोप लगा रहे हैं। सोशल मीडिया में लिखा जा रहा...नाते-रिश्तेदारों जो बच गए होंगे, वो भी इस बार वैतरणी पार कर जाएंगे। मगर ये बेकार की बात है। विरोध करने वालों को समझना चाहिए कि भर्ती किसी की भी हो...हैं तो सभी छत्तीसगढ़िया। फिर जरा सोचिए...आदमी अपने परिवार का ध्यान नहीं रखेगा तो कौन रखेगा? और बीजेपी के समय जो पीएससी में हुआ, वो कम हुआ? ये तो उससे कम ही है।
चेयरमैन के दावेदार
टामन सिंह सोनवानी के रिटायरमेंट के बाद पीएससी चेयरमैन के लिए सरकार के पास बहुत ज्यादा विकल्प नहीं है। सरकार अगर किसी आईएएस को लाना चाहेगी तो तीन ही ऐसे अफसर हैं, जो इस एक साल में रिटायर हो रहे हैं। इनमें पहला नाम राजभवन के सिकरेट्री अमृत खलको का है। वे इसी साल जुलाई में रिटायर हो जाएंगे। खलको को सरकार अगर पीएससी में बिठाना चाहेगी तो इसके लिए दो महीने वेट करना होगा। क्योंकि, सोनवानी सितंबर में रिटायर होंगे। खलको के बेटा और बेटी, दोनों इस बार डिप्टी कलेक्टर चुने गए हैं। सो खलको के चेयरमैन बनाने के दो फायदे होंगे। एक तो चुनाव के साल में आदिवासी होने का लाभ और दूसरा चूकि उनके दोनों बच्चे डीसी बन गए हैं सो, बाल-बच्चों को उपकृत करने वाले आरोप उन पर नहीं लग पाएंगे। इसके बाद दूसरा नाम होगा बिलासपुर और सरगुजा के कमिश्नर डॉ. संजय अलंग का। वे अगले साल जुलाई में रिटायरमेंट होंगे। सरकार अगर संजय को चेयरमैन बनाना चाहेगी तो इसके लिए उन्हें नौ महीने पहले आईएएस से वीआरएस लेना पड़ेगा। अलंग के बाद तीसरा नाम है रीता शांडिल्य का। वे अगले साल सितंबर में रिटायर होंगी। इसके लिए उन्हेंं पूरे एक साल पहले वीआरएस लेना पड़ेगा। हालांकि, इससे पहले कई आईएएस वीआरएस लेकर पीएससी चेयरमैन बने है। केएम पिस्दा रिटायरमेंट से करीब साल भर पहले वीआरएस लेकर पीएससी चेयरमैन बने थे। उसी तरह टामन सिंह सोनवानी भी रिटायरमेंट से साल भर पहले वीआरएस लेकर पीएससी चेयरमैन बनना बेहतर समझे थे। सोनवानी रुटीन में सितंबर 2021 में रिटायर हो गए होते। पीएससी चेयरमैन का एज 62 साल है, इसलिए उन्हेंं तीन साल चेयरमैन बनने का मौका मिल गया। रिटायरमेंट के बाद अगर वे चेयरमैन बने होते तो दो साल ही इस पोस्ट पर रहना पड़ता। बहरहाल, नए चेयरमैन के लिए संभावना का पलड़ा अमृत खलको की तरफ झुका दिख रहा है।
सीएस का प्रभार
चीफ सिकरेट्री अमिताभ जैन पारिवारिक कारणों से 16 दिन के अवकाश पर हैं। उन्होंने बकायदा छुट्टी ली है। एसीएस सुब्रत साहू को उनका प्रभार दिया गया है। इसमें दो बातें हैं। पहली, आमतौर पर सीएस अगर छुट्टी पर जाते हैं तो प्रभार देना मुनासिब नहीं समझते। इस मायने में अमिताभ जैन थोड़ा अलग हैं। और दूसरी, सुब्रत साहू को सेकेंड टाईम सीएस का प्रभार मिला है। पहली बार अमिताभ को जब कोविड हुआ था, तब सुब्रत 25 दिन सीएस के प्रभार में रहे। और अब 17 दिन। चलिए, सुब्रत इसी के जरिये वार्म अप हो रहे हैं। अमिताभ जैन के बाद आखिर कमान उन्हें ही संभालना है। अलबत्ता, रेणु पिल्ले उनसे सीनियर हैं। मगर सरकार दांव सुब्रत पर ही लगाना चाहेगी। हालांकि, अमिताभ का अभी करीब दो साल का टेन्योर बचा है। जून 2025 तक उनका टाईम है। इससे ये न समझा जाए कि 2025 में ही सुब्रत को मौका मिलेगा। सुब्रत को जिस दिन सीएस बनना होगा, उस रोज उनकी ताजपोशी हो जाएगी। सीएस, डीजीपी बनना माथे पर लिखा होता है। ऐसा नहीं होता तो जरा सोचिए! सुनील कुजूर सीएस और एएन उपध्याय कभी डीजीपी बन पाते?
आईएएस की लिस्ट
इस महीने डायरेक्टर इंडस्ट्रीज अनिल टुटेजा रिटायर हो जाएंगे। अनिल 2004 बैच के आईएएस हैं। 31 मई को उनके रिटायर होने पर सरकार को उनकी जगह किसी को डायरेक्टर पोस्ट करना होगा। आबकारी आयुक्त और आबकारी सचिव निरंजन दास लंबी छुट्टी पर हैं। सचिव को डे-टू-डे की फाइल नहीं जाती और फिर सचिव के लिंक अफसर होते हैं। सो, वे अगर छुट्टी पर जाते हैं, तो काम प्रभावित नहीं होता। मगर कमिश्नर का काम महत्वपूर्ण होता है। वे एचओडी होते हैं। वेतन निकालने से लेकर आबकारी का सारा कामकाज कमिश्नर की कलम से होता है। इससे समझा जाता है कि 31 मई के आसपास आईएएस पोस्टिंग की एक छोटी लिस्ट निकलेगी। इसमें नए आबकारी कमिश्नर की भी पोस्टिंग हो सकती है।
एसपी की भी!
राज्य सरकार ने 12 जिलों के एसपी बदल दिया। मगर जिनके नामों की पिछले छह महीने से चर्चा थी और जो सरकार के राडार पर हैं, उनमें से एक का नाम भी इस लिस्ट में नहीं है। इससे समझा जाता है कि जून-जुलाई में एसपी की एक लिस्ट और निकलेगी। अभी पांच जिलों में डीआईजी पोस्टेड हैं। इनमें से दो जिलों के एसएसपी जिले में रहने से अनिच्छा व्यक्त कर चुके हैं। अगली लिस्ट में हो सकता है एकाध आईजी का भी नंबर लग जाए।
अंत में दो सवाल आपसे
1. एक मंत्री के बीजेपी में शामिल होने की अटकलों के पीछे कोई सच्चाई है या महज अफवाह?
2. एक फूड आफिसर ने चार दिन में पूरा डेम का पानी बहा दिया और सिस्टम सोता रहा, क्या इसके लिए सिस्टम जिम्मेदार नहीं है?
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