एसपी की धुआंधार बैटिंग
सरकार ने एक पुलिस कप्तान को प्रमोशन देकर भरोसे के साथ बड़े जिले की कमान सौंपी थी। मगर कप्तान साब ने ज्वॉइन करते ही इस कदर धुआंधार बैटिंग शुरू कर दी कि उसकी चर्चा राजधानी तक होने लगी है। खुद पुलिस मुख्यालय के लोग मानने लगे है कि अफसर की कप्तानी पारी कुछ ज्यादा हो गई है। बात चूकि सरकार की नोटिस में है, इसलिए ताज्जुब नहीं कि अगली लिस्ट में कप्तान को वापस पेवेलियन बुला लिया जाए।
2000 के नोट बंद होने से सराफा और रियल इस्टेट में फिर से बूम आने की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। याद होगा, 2016 के नोटबंदी से डूबते हुए रियल इस्टेट में रौनक आ गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रात आठ बजे नोटबंदी का ऐलान करते ही लोग सराफा दुकानों की तरफ दौड़ पड़े थे। यही हाल रियल इस्टेट में रहा। आम लोग 500, 1000 के नोट लेकर परेशान होते रहे और बिल्डर बिना किसी हिचक नोट खपाते रहे। बता दें, 2015 तक रियल इस्टेट की हालत खास्ता थी। मगर नोटबंदी से रियल इस्टेट इतना मजबूत हो गया कि कोरोना जैसे पीरियड में भी बिल्डरों ने मकानों के रेट कम नहीं किए। हालांकि, इस बार सिर्फ 2000 के नोट बंद हुए हैं। और ये नोट मीडिल क्लास के पास नहीं है। हायर मीडिल क्लास के पास भी मुश्किल से होगा। चूकि पिछले दो-तीन साल से 2000 के नोट दिखने बंद हो गए थे। सो, माना जा रहा था कि बड़े लोगों ने ये नोट दबा दिया है। आखिर, देश में इंकम टैक्स, सीबीआई और ईडी के जितने छापे पड़े हैं, सभी जगहों पर 2000 के नोटों का जखीरा ही पकड़ा गया। बहरहाल, धनिकों का ये पैसे कहीं-न-कहीं निकलकर इंवेस्ट तो होगा। ऐसे में, सराफा और रियल इस्टेट की उम्मीदें तो बढ़ेगी ही।
न्यायधानी में न्याय का मजाक
पुलिस ने ऐसा कमाल किया है कि अन्याय भी उसके आगे शरमा जाए। पुलिस ने रेप पीड़िता की विधवा मां को बिना जांच-पड़ताल किए जेल भेज दिया। दरअसल, रतनपुर की महिला ने एक समुदाय विशेष के युवक पर बेटी के साथ रेप करने का आरोप लगाया था। महिला की रिपोर्ट पर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। पीड़िता की बेटी का आरोप है कि केस वापस लेने उसे धमकी और प्रलोभन दिया गया। मगर जब केस वापस लेने तैयार नहीं हुए तो उसकी मां पर एक 9 साल के बच्चे का यौन शोषण का एफआईआर कर जेल भेज दिया गया। रेप पीड़िता बीएससी नर्सिंग की छात्रा है। पिता रहे नहीं। मां को पुलिस ने जेल भेज दिया। कोर्ट में वह लोगों के सामने न्याय की गुहार लगाती रही। वकीलों के पैर पकड़ ली...मेरी मां बेकसूर है। मां को जेल भेजे जाने का आदेश सुनते ही बेहोश होकर गिर पड़ी। सोचनीय प्रश्न है...जिस महिला की बेटी के साथ रेप हुआ होगा, वह मासूम बच्चे का यौन शोषण करेगी? रेप केस के आरोपी पक्ष के काउंटर रिपोर्ट पर पुलिस को क्या इन पहलुओं पर जांच नहीं करनी थी! ठीक है, बाल अपराध में सुप्रीम कोर्ट का गाइडलाइन है मगर पुलिस को इस केस को संजीदगी समझनी चाहिए थी।
एपीसी की मीटिंग
कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने इस हफ्ते बिलासपुर में बिलासपुर और सरगुजा संभाग के कलेक्टरों की बैठक ली। एजेंडा था खेती-बाड़ी से लेकर वर्मी कंपोस्ट के उत्पादन और उसका रखरखाव। बैठक में कमलप्रीत के तेवर देख कई कलेक्टर बगले झांकने लगे तो जो बिना तैयारी चले आए थे उन्हें असहज स्थिति का सामना करना पड़ा। दरअसल, दोनों संभागों के कलेक्टरों को किसी सिकरेट्री के इस अंदाज से कभी साबका पड़ा नहीं। पुराने जमाने में बैजेंद्र कुमार नाम के एक सिकरेट्री थे। वे बड़ी निर्ममता से जूनियर अधिकारियों को टोक देते थे। लिहाजा, अधिकारी इधर-उधर करने से पहले दस बार सोचते थे कि कहीं बैजेंद्र सर कहीं व्हाट्सएप ग्रुप में खिंचाई न कर दें। मगर नौकरशाही में अब वो नस्ल रहा नहीं। और ये मानवीय प्रवृति है घर में कोई टोकने-टाकने वाला नहीं रहा तो बच्चों के कदम इधर-उधर पड़ने लगते हैं। आज सूबे की नौकरशाही मुश्किल दौर से गुजर रही तो उसके पीछे एक बड़ी वजह ये भी है।
लक्ष्मी और सरस्वती
किसी जमाने में कहा जाता था...जहां लक्ष्मी का वास होता है वहां सरस्वती नहीं आती और जहां सरस्वती रहती हैं, वहां लक्ष्मी नहीं। मगर कलयुग में सब बदल गया है। इस बार पीएससी के नतीजों को देखकर ऐसा ही प्रतीत होता है। पीएससी के मेरिट लिस्ट से अबकी कमजोर वगों के बच्चे सिरे से गायब हो गए। उनकी जगह सामर्थ्यवान अधिकारियों और नेताओं के बेटे, बेटियां, भतीजा, दामादों ने इस बार कब्जा जमा लिया...वे डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी सलेक्ट हो गए। गजब तो तब हुआ, जब एक घर से दो-दो डिप्टी कलेक्टर। पति-पति दोनों टॉप टेन में। दरअसल, प्रशासनिक सेवा भी एक बड़ा इंवेस्टमेंट हो गया है। डिप्टी कलेक्टर प्रमोट होकर आईएएस बन जाते हैं। और आईएएस बन गए तो रिटायरमेंट तक पांचों उंगली घी में। छोटे-मोटे उद्योगपति उनके सामर्थ्य के सामने नहीं टिकते। कारोबारियों को अब इसलिए इसमें इंट्रेस्ट आ गया कि घर-परिवार में एकाध प्रशासनिक अफसर निकल गया तो डीएमएफ और माईनिंग के युग में उनका धंधा फलने-फूलने लगेगा। सो, बेटा-बेटी न हो तो दामाद ही सही, प्रशासनिक अफसर होना चाहिए। और आईएएस, आईपीएस इसलिए इसमें इंवेस्ट कर रहे हैं कि बेटा प्रशासनिक अफसर बन गया तो रिटायरमेंट के बाद भी गाड़ी-घोड़ा की सुविधा मिलती रहेगी। इंवेस्टमेंट का नया आईडिया है ये।
आईएएस को झटका
एक आईएएस अधिकारी ने राजधानी के पॉश कालोनी में एक मकान का सौदा किया। करीब डेढ़ खोखा के मकान का आधा पैसा एक नंबर में देना था और आधे के करीब नगद। आईएएस के विभाग के एक सप्लायर ने ये सौदा कराया था। उसने बिल्डर को अश्वस्त किया था, कच्चा याने नगद वाला हिस्सा मैं दूंगा। इस बीच आईएएस का विभाग बदल गया। विभाग बदलते ही गिरगिट के रंग की तरह सप्लायर भी बदल गया। बिल्डर को उसने पैसा देने से साफ इंकार कर दिया। आईएएस ऐसे में क्या करते सौदा रद्द कर चेक से एक नंबर में दो लाख पेशगी दी थी, उसे वापिस ले लिया।
अंत में दो सवाल आपसे
1. छत्तीसगढ़ के किस शराब ठेकेदार के यहां से ईडी ने 28 करोड़ के जेवर सीज किया है?
2. किस वजह से बीजेपी ने थर्ड, फोर्थ लाइन के नेताओं को सरकार के विरोध के लिए आगे कर दिया है?
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