नजर लागे राजा….
नौकरशाहों का गाड़ी और बंगले का शौक नई बात नहीं है। पोस्टिंग मिलने के बाद पहली कोशिश होती है कि बंगला सज-संवर जाए और न्यूनतम दो गाड़ी मिल जाए। लेकिन, ग्रह-नक्षत्र का योग कहिए कि अबकी एक आईएएस आफिसर को बंगले का शौक भारी पड़ गया। काफी जद्दोजहद के बाद छत्तीसगढ़ लौटे आईएएस ने देवेंद्र नगर आफिसर्स कालोनी में बंगला अलाट होते ही इंजीनियरों को तलब करके उसे फर्नीश्ड करने का फारमान सुना डाला। अब, सिकरेट्री का आर्डर है, तो उसे भला नजरअंदाज करने का साहस किसमें। ठेकेदारों और सप्लायरों से चंदा-चकोरी करके विभाग ने बंगले में सात-आठ लाख का काम कराया। दो-तीन लाख रुपए के काम अभी और बाकी थे। तब तक सरकार की नोटिस में यह बात आ गई। बताते हैं, जिन ठेकेदारों ने पैसा दिया था, उनमें से ही किसी के जरिये उच्च पदों पर बैठे लोगों के पास यह माजरा पहंुच गया। इसके बाद सरकार ने सिकरेट्री से विभाग छीनने में देर नहीं लगाई।
कांग्रेस की फ्लाइट्स
शनिवार की दिल्ली जाने वाली सभी फ्लाइट्स कांग्रेस नेताओं के नाम रही। दिल्ली में 19 को होने वाली किसान रैली में हिस्सा लेने के लिए 300 से अधिक कांग्रेसी नेता हवाई जहाज से दिल्ली रवाना हुए। दिल्ली जाने वाली शनिवार की इंडिगो, जेट और एयर इंडिया की तीनों फ्लाइट कांग्रेसियों से फुल थी। कांग्रेस नेताओं ने पहले से इसकी टिकिट बुक करा ली थी। दिल्ली में बीजेपी सांसदों का कल से ट्रेनिंग प्रोग्राम है। उसमें जाने के लिए बड़ा जैक लगाने पर पांच सांसदों को टिकिट का जुगाड़ हो पाया। बहरहाल, सवाल यह नहीं कि हवाई जहाज से किसान रैली में जाने वाले 300 में से कितने कांग्र्रेसी किसान थे। सवाल इस पर है कि कौन कहता है, कांग्रेस की माली स्थिति खराब है। और, वह दस बरस से विपक्ष में है। संगठन की आर्थिक स्थिति भले ही कमजोर हो मगर नेताओं के साथ ऐसा नहीं है। एक-दो नहीं, सैकड़ों ऐसे नेता हैं, जो विपक्ष में होने के बाद भी सत्ताधारियों से भी बेहतर रुतबेदार लाइफ जी रहे हैं। और, बीजेपी के हैट्रिक बनाने के पीछे वजह भी यही है। धंधा-पानी, रुतबे के लिए आखिर, कंप्रोमाइज तो करने पड़ेंगे ना।
2 को आएंगे मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 2 मई को छत्तीसगढ़ आना लगभग तय माना जा रहा है। पीएमओ ने टेंटेटिव डेट देते हुए राज्य सरकार को पीएम विजिट की तैयारी करने के निर्देश दे दिया है। अभी तक के कार्यक्र्रम के अनुसार प्रधानमंत्री पहले दंतेवाड़ा जाएंगे। उसके बाद नए रायपुर में 110 करोड़ की लागत से निर्मित ट्रीपल आईटी बिल्डिंग का लोकार्पण करेंगे। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी का यह पहला छत्तीसगढ़ दौरा होगा। लिहाजा, सरकार भी उसी हिसाब से तैयारी कर रही है।
बेस्ट टीम
सोमवार को हुए फेरबदल के बाद रमन सरकार के पास सिकरेट्री की बेस्ट टीम हो गई है। सुब्रमण्यिम को होम, अमित अग्रवाल को फायनेंस एवं कामर्सियल टैक्स और रेणु पिल्ले को तकनीकी शिक्षा का जिम्मा सौंपा गया। इनमे से पहले दो, पीएमओ मे अरसे तक काम किए हैं। पिल्ले की भी साफ-सुथरी एवं फास्ट काम करने वाली आईएएस की छबि है। खास बात यह कि इन तीनों की ईमानदारी पर कोई सवाल नहीं किया जा सकता। सीएम सचिवालय में बैजेंद्र कुमार, अमन सिंह और सुबोध सिंह के रूप में पहले से उर्जावान लोगों की टीम है। पंचायत में एमके राउत। अरबन में आरपी मंडल। जनसंपर्क में जीएस मिश्रा। राजस्व बोर्ड में डीएस मिश्रा जैसे अनुभवी अफसर। कलेक्टरों में, रायपुर, बिलासपुर, जांजगीर, कोरबा, रायगढ़, दुर्ग, राजनांदगांव जैसे जिलों के कलेक्टरों के पारफारमेंस से सीएम भी काफी खुश हैं। रायपुर, बिलासपुर और बस्तर के आईजी की अपनी अलग पहचान है। अब जरूरत है, सिर्फ मानिटरिंग की। अपना-पराया, राग-द्वेष, पूर्वाग्रह को छोड़कर अब इन अफसरों से अगर काम लिया जाए, तो बढि़यां रिजल्ट मिल सकता है।
खौफ या….
सोमवार को सीनियर आईएएस की छोटी लिस्ट निकली। मंगलवार को आंबेडकर जयंती की छुट्टी थी। बुधवार को 10.30 बजे मंत्रालय का काम चालू होते ही सामान्य प्रशासन विभाग याने जीएडी ने नोटशीट चला बुधवार को पांच बजे तक सभी से चार्ज हैंडओवर करने का निर्देश दे दिया। मंत्रालय के गलियारों में इस पर खूब चुटकी ली जा रही…..इसके पीछे कहीं डीएस मिश्रा का डर तो नहीं……मिश्रा 10 साल सीएम के नजदीक रहे हैं। डाक्टर साब का दिल कहीं पसीज गया तो….सब गड़बड़ हो जाता। सो, जल्दी से उन्हें चलता किया गया।
हम रुकेंगे नहीं
सीनियरिटी में नम्बर दो के नौकरशाह डीएस मिश्रा रिटायरमेंट से एक साल पहिले मुख्यधारा से भले ही बाहर हो गए, मगर उनके तेवर बताते हैं, वे न चुप बैठने वाले हैं और ना ही रुकने वाले। उनके करीबी लोगों की मानें तो राजस्व बोर्ड में उनकी दमदारी दिखेगी। इसकी झलक उन्होंने मंत्रालय से रिलीव होने से पहले कलेक्टरों को एसएमएस भेजकर दे दिया। उन्होंने कलेक्टरों और कमिश्नरों को सारे दस्तावेज दुरूस्त करने का निर्देश दिया है। बहुत जल्द कलेक्टरों की वे मीटिंग भी लेंगे। सो, आश्चर्य नहीं कि जमीनों के खेल का कोई बड़ा मामला सामने आए।
एक आईएएस, एक आईपीएस
इस महीने 30 अप्रैल को बस्तर कमिश्नर आरपी जैन एवं पुलिस अकादमी में डीआईजी निलकंठ सिंह रिटायर हो जाएंगे। जैन के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता मगर निलकंठ सिंह को संविदा मे कोई पोस्ट मिल सकती है। इसी के साथ बस्तर कमिश्नर के लिए तलाश शुरू हो गई है। बस्तर के लिए फिलहाल दो नाम चर्चा में है। एक विकास शील और दूसरा निर्मल खाखा।
मजबूरी का नाम
ब्यूरोक्रेसी के लिए पिछला हफ्ता बड़ा उथल-पुथल वाला रहा। कोई स्ट्रांग हो गया तो कोई हिट विकेट। सुब्रमण्यिम को यह बात तय थी कि उन्हें होम दिया जाएगा मगर यह हफ्ते-दस दिन बाद होता। लेकिन, नक्सली हमले के चलते सोमवार को ही सुब्रमण्यिम को होम की कमान सौंपनी पड़ गई। दूसरा, फेरबदल में इस बात का भी मैसेज दिया गया कि सरकार, सरकार होती है। सीएम का एक लाइन का आर्डर किसी का ब्यूरोके्रेटिक डेथ कर सकता है। तो किसी की दुनिया बदल सकती है। बहरहाल, फेरबदल के कुछ फैसले मजबूरी वाले ही रहे। सरकार के पास ऐसा करने के अलावा कोई चारा नहीं था।
हफ्ते का व्हाट्सअप
राहुल गांधी के स्वागत में बैंडवालों की इसलिए पिटाई हो गई क्योंकि, उन्होंने-तुम तो ठहरे परदेशी, साथ का निभाओगे-बजा दिया था।
अंत में दो सवाल आपसे
1. पीएचई सिकरेट्री एम गीता को सरकार ने दो महीने में ही क्यों हटा दिया?
2. आतंकवादी जब इंडियन मिलिट्री को टारगेट करते हैं तो लोग पाकिस्तान को गालियां देते हैं मगर नक्सली हमले में जवानों के शहीद होने पर उल्टे पुलिस को क्यों कोसा जाता है?
2. आतंकवादी जब इंडियन मिलिट्री को टारगेट करते हैं तो लोग पाकिस्तान को गालियां देते हैं मगर नक्सली हमले में जवानों के शहीद होने पर उल्टे पुलिस को क्यों कोसा जाता है?
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