शनिवार, 4 अप्रैल 2015

तरकश, 29 मार्च


tarkash photo

 


नए होम सिकरेट्री


सरकार को आखिरकार एडिशनल होम सिकरेट्री नरेंद्र कुमार असवाल का विकल्प मिल गया। राज्य बनने के बाद पांच अप्रैल को पहली बार छत्तीसगढ़ आ रहे 87 बैच के आईएएस सुब्रमण्यिम का प्रींसिपल सिकरेट्री होम की कमान संभालन लगभग तय हो गया है। असवाल की तरह वे ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और उसके सिकरेट्री भी होंगे। सुब्रमण्यिम 25 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय से रिलीव हो गए। यहां वे 6 अप्रैल को आमद देंगे। राज्य बनने के पहले से वे सेंट्रल डेपुटेशन पर थे। बहरहाल, सर्वाधिक समय तक किसी एक विभाग का सिकरेट्री रहने का रिकार्ड असवाल के नाम दर्ज हो गया है। वे आठ साल होम में हैं। रमन सिंह की पहली पारी के आखिरी समय में वे इस विभाग के सिकरेट्री बनें थे। दूसरी पारी में वे इसी विभाग में पीएस और तीसरी पारी में एसीएस हो गए। उन्होंने अपने सीनियर डीएस मिश्रा का रिकार्ड ब्रेक कर दिया। मिश्रा लगातार साढ़े छह साल वित्त में रहे थे। हालांकि, वे अभी भी वित्त में हैं। मगर बीच में दो साल का ब्रेक आ गया था।

हाट अप्रैल


अप्रैल महीना ब्यूरोक्रेसी के लिए काफी हाट रह सकता है। सुब्रमण्यिम के आने के बाद जाहिर है, एक लिस्ट निकलेगी। उसमें कुछ विभागों के सिकरेट्री तो बदलेंगे ही, सरकार कोई और बड़ा धमाका करके ब्यूरोक्रेसी को हिला दें, तो आश्चर्य नहीं। सत्ता के गलियारों में चर्चा भी कुछ इसी तरह के हैं। वैसे, पहली लिस्ट सात से आठ मार्च को निकल सकती है। सीएम दो और तीन अप्रैेल को बेंगलुरु में रहेंगे। पांच को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्रियों को दिल्ली में रात्रि भोज दे रहे हैं। सीएम छह अप्रैल को रायपुर लौटेंगे। इसके बाद फेरबदल को अंतिम रूप दिया जाएगा।

15 के बाद


मंत्रिमंडल का बहुप्रतीक्षित पुनर्गठन भी अब 15 अप्रैल के बाद ही हो पाएगा। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात अप्रैल को हफ्ते भर के लिए कनाडा समेत पांच देशों की यात्रा पर जा रहे हैं। जाहिर है, प्रधानमंत्री के देश के बाहर रहने पर बीजेपी का कोई सीएम मंत्रिमंडल का पुनर्गठन या सर्जरी नहीं करेगा। सो, सरकार के करीबी सूत्रों की मानें तो 20 अप्रैल के आसपास तीन नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण के लिए राजभवन से न्यौता आ सकता है।

बंगले का अपशकुन


नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव अपने सरकारी बंगले की बजाए राजकुमार कालेज के गेस्ट हाउस में रहने का फैसला किया है। हालांकि, रविंद्र चैबे ने नेता प्रतिपक्ष का बंगला खाली कर दिया है। चैबे को विजय बघेल का बंगला अलाट हुआ है। शंकरनगर स्थित नेता प्रतिपक्ष के बंगले में अब सिंहदेव का आफिस रहेगा। सिंहदेव ने ठीक ही किया है। छत्तीसगढ़ में कोई नेता प्रतिपक्ष चुनाव नहीं जीता है। नंदकुमार साय से लेकर महेंद्र कर्मा और रविंद्र चैबे तक। चैबे तो उस सीट को गवां दिए, जिस पर आजादी के बाद से उनके परिवार का कब्जा था। नेता प्रतिपक्ष के बंगले में जाकर सिंहदेव भला रिस्क क्यों लेंगे। उधर, भाजपा के एक नेताजी भी ने डेढ़ करोड़ रुपए से अधिक में जीर्णोद्धार एवं रंग-रोगन कराने के बाद शंकरनगर स्थित बंगले में एक दिन भी रहने नहीं गए। किसी वास्तुविद् ने उन्हें सलाह दे डाली कि वहां जाने पर उनके साथ कोई अनिष्ट हो सकता है। इसके बाद, तीन-चार एकड़ में फैले बंगले को उन्होंने आफिस में कंवर्ट कर दिया है।

कांटे का टक्कर


पहली बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के लिए जुलाई में चुनाव होगा। चुनाव के लिए कांग्रेस में जिस तरह के दांव-पेंच चल रहे हैं, उससे साफ हो गया है कि संगठन और विरोधी खेमे में कांटे का टक्कर होगा। जोगी खेमे ने तो इसकी जबर्दस्त ढंग से तैयारी शुरू कर दी है। सागौन बंगले में शनिवार को अजीत जोगी की बंद कमरे में रविंद्र चैबे से घंटे भर की मुलाकात हुई। सत्यनारायण शर्मा भी जोगी से अलग नहीं रहेंगे। भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव को चरणदास महंत का साथ मिल सकता है। हालांकि, संगठन खेमा आम सहमति से अध्यक्ष बनाए जाने की बात कर रहा है, जिस तरह मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह और माधवराव सिंधिया के बीच चुनाव होना था। मगर आलाकमान के निर्देश पर सिंधिया को नाम वापस लेना पड़ा था। लेकिन छत्तीसगढ़ में यह संभव नहंी होने वाला। जोगी शायद ही इस पर तैयार होने वाले। जााहिर तौर पर जोगी बोलेंगे हमें अध्यक्ष बनाओ या चुनाव कराओ। असल में, जोगी के लिए यह अस्तित्व की लड़ाई है। कई साल से वे सत्ता और संगठन से दूर हैं। अपनी ताकत दिखाने के लिए जोगी हर हाल में चाहेंगे कि वे अध्यक्ष का चुनाव जीतें। कुल मिलाकर चुनाव दिलचस्प रहेगा। सरकार को भी राहत मिलेगी। नान मामले पर सरकार पर चलने वाले तीर अब आपस में ही चलेंगे।

गुगली


विधानसभा में नान घोटाले की चर्चा के दौरान पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर ने यह कहकर भूपेश बघेल की ओर गुगली फेंकी कि एसीबी पर आपको भरोसा है कि नहीं। मगर बघेल भी चतुर ठहरे। उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया। दरअसल, चंद्राकर का दांव यह था कि बघेल बोल दें कि उन्हें एसीबी पर यकीन नहीं है, तो उन्हें घेरा जाए। जोगी सरकार में बघेल जब मंत्री थे, उस समय पीएचई का एक मामला सरकार ने एसीबी को जांच के लिए दिया था। 2008 में एसीबी ने इसका खात्मा कर दिया। बघेल अगर कहते कि उन्हें एसीबी पर भरोसा नहीं है तो फिर सत्ता पक्ष उनके मामले का खात्मा पर सवाल उठाता।

व्हाट्सअप से


कन्या को मरवा दिया जिसने पत्नी की कोख में, वे ही कन्या ढूंढ रहे हैं नवरात्रि के भोज में। नौ दिन कन्याओं की पूजन करते हैं पर नौ महीने गर्भ में नहीं रख पाते हैं, माता का दर्शन करने के लिए नौ दिन पैदल चलकर जाते हैं, लेकिन एक कन्या को जन्म देने से घबराते हैं। आप नौ दिन पूजा करके किस माता को मना लोगे, अगर कन्या नहीं बची धरती पर तो बेटों से काम चला लोगे, कन्याओं को मारकर गर्भ में क्या माता का आर्शीवाद पा लोगे।

अंत में दो सवाल आपसे


1. नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव विधानसभा में नान घोटाले में कुछ नामों को पार्टी विधायकों द्वारा उठाने पर खेद प्रगट किया और अगले दिन दिल्ली से लौटते ही वे फिर आक्रमक कैसे हो गए?
2. बीजेपी के किस विधायक ने मंत्री बनने के लिए नवरात में तांत्रिक अनुष्ठान कराया है?

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