बुधवार, 8 अप्रैल 2015

तरकश, 5 अप्रैल

tarkash photo

 

बड़ों में तकरार

रिटायरमेंट के पहले चीफ सिकरेट्री सुनिल कुमार ने दो आला अधिकारियों के बीच सुलह कराई थी, वो किसी काम नहीं आई। दोनों के बीच तकरार बढ़ती जा रही है। भरी मीटिंग में टांट, टोका-टोकी आम हो गई है। कुछ रोज पहले ही की बात है, मीटिंग में दोनों के बीच इस कदर गरमागरम बहस हो गई कि एक अफसर मीटिंग छोड़कर चले गए। बड़ों के बीच का मामला है, सो बात सीएम तक तो पहंुचनी ही थी। वैसे, दोनों अरसे से सीएम से एक-दुसरे की शिकायत कर रहे हैं....वो हमको अपमानित कर रहे हैं तो वो हमको नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। तभी तो मंत्रालय में तो चर्चा शुरू हो गई है कि दोनों में से अब कोई एक ही रहेगा या किसी तीसरे की इंट्री न हो जाए। 

अब बायोडाटा


राजभवन ने राज्यपाल से मिलने के लिए समय मांगने वालों के लिए अब बायोडाटा अनिवार्य कर दिया है। मकसद यह है कि जिनसे मिलना है, महामहिम उनके बारे में जान लें आदमी किस स्टेट्स का है और उसे कितना समय दिया जाना चाहिए। पहले कुछ केस हुए हैं, गड़बड़ टाइप के या काले दामन वाले लोग राजभवन पहुंच गए थे। अब किसी भी लेवल का आदमी हो, उसे बायोडाटा देना होगा। हाल ही में एक मंत्री का स्टाफ इसी बात को लेकर नाराज हो गया कि उनसे मंत्रीजी का बायोडाटा मांगा गया। आखिरकार, मंत्रीजी को बायोडाटा देना पड़ा।

मंत्री भी अब पांव-पांव 


पहले ग्राम सुराज अभियान में चीफ मिनिस्टर पसीना बहाते थे और मंत्री अपने गृह नगर और प्रभार वाले जिला का दौरा करके मुक्ति पा लेते थे। मगर लोक सुराज अभियान का जो फ्रेम तैयार हुआ है, उसमें मंत्रियों को भी अब गांव-गांव, पांव-पांव जाना होगा। उन्हें भी पूरे 27 जिलों का दौरा करना है। सुकमा से लेकर बलरामपुर तक। सरकार ने इस बार सुराज अभियान में कई तब्दीलियां की है। सीएम अब हेलीकाप्टर से हर जिले के एक गांव में तो लैंड करेंगे और चैपाल तो लगाएंगे ही, इसके साथ ही वे वहां को कोई एक प्रोजेक्ट को चलकर खुद देखेंगे। वो चाहे सड़क, नाली हो या एनटी कट या कोई बड़ा डेम। इसके बाद जिस जिला मुख्यालय में सीएम नाइट हाल्ट करेंगे, उसके आसपास के जिलों के कलेक्टरों समेत अन्य अधिकारियों को बुलाकर वहां चल रहे विकास कार्यो का रिव्यू करेंगे। इसमें खास बात यह है रिव्यू में एमएलए, सांसद समेत अन्य जनप्रतिनिधि भी शामिल होंगे। सीएम के सामने वे खुलकर समस्याओं पर बोल सकेंगे। सो, अफसरों के लिए यह मुश्किल वाला मामला होगा। बहरहाल, ग्राम की बजाए लोक सुराज नाम इसलिए दिया गया है कि

बस्तर में विकास


बस्तर कमिश्नर आरपी जैन इस महीने 30 अप्रैल को रिटायर हो जाएंगे। सो, इस महीने के अंत में बस्तर में नए कमिश्नर अपाइंट करना भी सरकार की नोटिस में है। वैसे, स्पेशल सिकरेट्री को भी अब कमिश्नर बनाया जा रहा है। पहले टीएस महावर, सोनमणि बोरा और अभी अशोक अग्रवाल को रायपुर का कमिश्नर पोस्ट किया गया है। हालांकि, बोरा अब पदोन्नत होकर सिकरेट्री बन गए हैं। मगर महावर और अग्रवाल अभी भी विशेष सचिव हैं। बस्तर कमिश्नर के लिए कुछ स्पेशल सिकरेट्री के साथ ही मई में स्टडी लीव से लौट रहे विकासशील का नाम भी चल रहा है। विकास से सरकार वैसे भी खुश नहीं है। उन्हें मुश्किल से लीव पर जाने की अनुमति मिली थी। इस बीच नान घोटाला भी सामने आ गया। ऐसे में बहुत आश्चर्य नहीं होगा, जब सरकार विकास को बस्तर रवाना कर दें।

नया मंत्री, नया सिकरेट्री


फूड पहला विभाग होगा, जिसके मंत्री और सिकरेट्री इस बार दोनों ंबदल जाएंगे। नान घोटाले के बाद सरकार ने डा0 आलोक शुक्ला से फूड लेकर टेम्पोरेरी तौर पर एसीएस अजय सिंह को दे दिया था। आसन्न फेरबदल में फूड में फुलफ्लैश सिकरेट्री बिठाया जाएगा। तो नया मंत्री भी। फूड के लिए अमर अग्रवाल या राजेश मूणत का नाम चर्चा में है। मूणत का आवास पर्यावरण सीएम अपने पास रख सकते हैं। पहली बार मंत्री बन रहे महेश गागड़ा को वन तो अजय चंद्राकर को पंचायत के साथ स्वास्थ्य भी मिल सकता है। ये अलग बात है कि स्वास्थ्य विभाग कोई मंत्री लेने के लिए तैयार नहीं हो रहा है। यद्यपि, तैयार तो अमर अग्रवाल भी नहीं थे। तीसरी बार सरकार बनने पर उन्होंने स्वास्थ्य न देने का आग्रह किया था। इसलिए, होगा वही, जो रमन सिंह चाहेंगे।

सोशल मीडिया और ब्यूरोके्रट्स


सोशल मीडिया के मामले में सूबे के ब्यूरोक्रेट्स भी पीछे नहीं हैं। सुबोध सिंह, गणेशशंकर मिश्रा, सोनमणि बोरा, मुकेश बंसल, अवनीश शरण के पोस्ट को 800 से एक हजार तक लाइक हो जाता है। आश्चर्य यह कि इनमें 80 फीसद से अधिक उनके फालोवर आम आदमी है। या फिर लो प्रोफाइल के उनके जानने वाले। अलबत्ता, पुलिस वालों की स्थिति ठीक इसके उलट है। सोशल मीडिया में एक भी आईपीएस नहीं हैं। रापुसे के अफसर एवं राजनांदगांव के एडिशनल एसपी शशिमोहन सिंह जरूर कुछ दिनों तक फेसबुक पर एक्टिव रहे मगर बाद में वे खुद को समेट लिए।

अंत में दो सवाल आपसे


1. राशन कार्ड निरस्तीकरण की बजाए प्रति व्यक्ति सात किलो चावल देने का ऐलान अगर नगरीय निकाय चुनाव के पहले कर दिया गया होता, तो क्या बीजेपी का पारफारमेंस सुधर सकता था?
2. नान घोटाले को सीएम हाउस की ओर टर्न करने में क्या ब्यूरोक्रेट्स के कुछ लोगों का हाथ था क्या?


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