18 दिसंबर
संजय दीक्षित
86 बैच के आईएएस सुनील कुजूर का प्रमोशन एक साल से ड्यू था। उन्हें पिछले साल दिसंबर में ही एसीएस बन जाना था। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं। आईएएस लाॅबी 13 दिसंबर को नींद से तब जागी जब कैबिनेट में प्रमोटी आईपीएस आरसी श्रीवास्तव को स्पेशल डीजी बनाने का प्रस्ताव आ गया। खबर सुनते ही आईएएस नेता आंख मलते हुए सीएम के चेम्बर की ओर दौड़े। कैबिनेट खतम कर डाक्टर साब जैसे ही अपने चेम्बर में पहुंचे, आईएएस भीतर घुसे….मुंह लटकाए हुए। डाक्टर साब 13 साल के सीएम हो गए हैं…. माजरा समझ गए…..मुस्कराते हुए पूछे, कहो! क्या हुआ? आईएएस हाथ जोड़कर बोले, साब, घोर अन्याय हो गया। सही में कलयुग आ गया है….आईएएस का 86 बैच पोस्ट खाली होने के बाद भी टकटकी लगाए बैठा है और स्टेट पुलिस वाला डीजी बन जाए…..वो भी कैबिनेट में स्पेशल पोस्ट क्रियेट कर…कुछ कीजिए….वरना, इस प्रदेश में हमें पूछेगा कौन। डाक्टर साब हल्के मूड में थे, पूछे, क्या हुआ, साफ-साफ बताओ! आईएएस बोले, सरररर…वो सुनील कुजूर….। डाक्टर साब सिर हिलाकर बोले, हूं…., उसका भी हो जाएगा। तभी चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड जैकेट ठीक करते हुए कमरे में इंटर किए। डाक्टर साब ने ढांड से पूछ डाला, क्यों विवेक, कुजूर का क्यों नहीं हो रहा है। ढांड बोले, सर, हो जाएगा, एकदम हो जाएगा सर….मैं अभी बात करता हूं सर! इस पर सीएम बोले, इस महीने किसी भी तरह हो जाना चाहिए। इसके बाद अफसर थैंक्यू बोले, सिर उठाया और फिर चेम्बर से बाहर निकल गए। चलिये, एक साल बाद ही सही, बेचारे कुजूर के लिए आईएएस लाॅबी जागी तो सही।
86 बैच के आईएएस सुनील कुजूर का प्रमोशन एक साल से ड्यू था। उन्हें पिछले साल दिसंबर में ही एसीएस बन जाना था। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं। आईएएस लाॅबी 13 दिसंबर को नींद से तब जागी जब कैबिनेट में प्रमोटी आईपीएस आरसी श्रीवास्तव को स्पेशल डीजी बनाने का प्रस्ताव आ गया। खबर सुनते ही आईएएस नेता आंख मलते हुए सीएम के चेम्बर की ओर दौड़े। कैबिनेट खतम कर डाक्टर साब जैसे ही अपने चेम्बर में पहुंचे, आईएएस भीतर घुसे….मुंह लटकाए हुए। डाक्टर साब 13 साल के सीएम हो गए हैं…. माजरा समझ गए…..मुस्कराते हुए पूछे, कहो! क्या हुआ? आईएएस हाथ जोड़कर बोले, साब, घोर अन्याय हो गया। सही में कलयुग आ गया है….आईएएस का 86 बैच पोस्ट खाली होने के बाद भी टकटकी लगाए बैठा है और स्टेट पुलिस वाला डीजी बन जाए…..वो भी कैबिनेट में स्पेशल पोस्ट क्रियेट कर…कुछ कीजिए….वरना, इस प्रदेश में हमें पूछेगा कौन। डाक्टर साब हल्के मूड में थे, पूछे, क्या हुआ, साफ-साफ बताओ! आईएएस बोले, सरररर…वो सुनील कुजूर….। डाक्टर साब सिर हिलाकर बोले, हूं…., उसका भी हो जाएगा। तभी चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड जैकेट ठीक करते हुए कमरे में इंटर किए। डाक्टर साब ने ढांड से पूछ डाला, क्यों विवेक, कुजूर का क्यों नहीं हो रहा है। ढांड बोले, सर, हो जाएगा, एकदम हो जाएगा सर….मैं अभी बात करता हूं सर! इस पर सीएम बोले, इस महीने किसी भी तरह हो जाना चाहिए। इसके बाद अफसर थैंक्यू बोले, सिर उठाया और फिर चेम्बर से बाहर निकल गए। चलिये, एक साल बाद ही सही, बेचारे कुजूर के लिए आईएएस लाॅबी जागी तो सही।
क्रिसमस का तोहफा?
सीएम के भरोसा देने के बाद आईएएस सुनील कुजूर की फाइल तेजी से मूव हुई और अब उनका बहुप्रतीक्षित प्रमोशन अगले हफ्ते किसी भी दिन हो सकता है। वे अब एडिशनल डीजी बन जाएंगे। उनकी डीपीसी के लिए भारत सरकार ने लेटर जारी कर दिया है। डीओपीटी ने कमेटी के लिए अपना मेम्बर भी अपाइंट कर दिया है। इसलिए, 25 दिसंबर से पहिले कुजूर का प्रमोशन तय मानिये। याने क्रिसमस का तोहफा उन्हें मिलेगा। हालांकि, कुजूर को इस तोहफे की अनुभूति तब होगी, जब उन्हें कोई और विभाग मिले। ग्रामोद्योग में ही एसीएस कन्टीन्यू करने पर भला तोहफा का अहसास कैसे होगा।
लौटेंगे बीके
रमन सरकार ने 87 बैच के आईपीएस राजीव श्रीवास्तव को स्पेशल डीजी बनाया है। इसलिए, इसी बैच के रेगुलर रिक्रूट्ड आईपीएस बीके सिंह को भी प्रमोशन देना लाजिमी था। बीके बैच वाइज वैसे भी श्रीवास्तव से सीनियर हैं। फिलहाल वे डेपुटेशन पर आईबी में पोस्टेड हैं। छत्तीसगढ़ से बाहर होने के कारण उन्हें प्रोफार्मा प्रमोशन दिया गया है। अंदर की खबर है, बीके फरवरी, मार्च तक छत्तीसगढ़ लौट सकते हैं। बीके अब पावर गेम के तहत छत्तीसगढ़ लाए जा रहे हैं या अपनी इच्छा से, वक्त आने पर इसका पता चलेगा।
चेयरमैन को चपरासी
वेयर हाउस के चेयरमैन नीलू शर्मा और तब के एमडी राधाकृष्णन को अपवाद स्वरुप छोड़ दें तो अधिकांश बोर्डो के चेयरमैन और एमडी के बीच रिश्ते छत्तीस के ही होते है। एमडी से या तो लेनदेन को लेकर विवाद होता है या फिर इगो का टकराव। राजधानी में 10 हजार करोड़ से अधिक का कारोबार करने वाली एक संस्था में चेयरमैन और एमडी के बीच तकरार चरम पर पहंुच गई है। दरअसल, एमडी ने सिस्टम को ऐसा कस दिया है कि चेयरमैन की हालत चपरासी से भी बदतर हो गई है। ट्रांसफर के सीजन में चेयरमैन साब हर साल चार से पांच खोखा अंदर कर लेेते थे। रुटीन में जो कमीशन था, वह अलग। लेकिन इस साल एक तो मोदी की नोटबंदी और उपर से एमडी के कड़े तेवर ने सब कबाड़ कर दिया। पता चला है, एमडी को उपर से भी इशारा है, चेयरमैन पर लगाम लगाओ। एमडी ने ऐसा लगाम लगाया है कि बेचारे फड़फड़ा भी नहीं पा रहे हैं। हो सकता है, इसमें फायदा एमडी को भी हो जाए। समीर विश्नोई ने बीज विकास निगम में सप्लायरों को ऐसा शिकंजा कसा कि कई लोग पहुंच गए सरकार के पास। ऐसे में हो सकता है, समीर की तरह एमडी को भी कलेक्टर का एक और मौका मिल जाए।
चंद्राकर का राहू
पंचायत एवं हेल्थ मिनिस्टर अजय चंद्राकर के धार्मिक स्थलों से होकर आने के बाद भी राहू ने उनका पीछा नहीं छोड़ा है। लौटते ही अमित शाह एपीसोड हो गया। मंत्रिमंडल के उनके मजबूत मित्रों ने खबर को वायरल करने में देर नहीं लगाई। चंद्राकर कैंप को इसलिए जोर का झटका लगा कि मंत्रीजी ने मेहनत करके हाईटेक लायब्रेरी बनवाई और यह गौण हो गया। हेडलाइन बन गया, मंत्री को फटकार। मंत्रीजी को एक बार त्रयंबकेश्वर हो आना चाहिए। वहां भांति-भांति के ग्रहों का निराकरण किया जाता है। वैसे भी, चंद्राकर के लोग बताते हैं, कुछ ज्यातिषियों ने सलाह दी है कि बीजेपी में ओबीसी के चंद्राकर सबसे तेज नेता हैं। इसलिए, मंत्रिमंडल के साथियों का उनके प्रति विशेष अनुराग है। इसके लिए उन्हें कुछ अनुष्ठान करना चाहिए।
जोगी का मित्र कौन?
संसाधनों में जोगी कांग्रेस ओरिजिनल कांग्रेस से कहीं आगे न निकल जाए। गुरू घासीदास जयंती में सतनामी इलाके में जोगी की तुफानी सभाओं के लिए मुंबई से हेलिकाप्टर पहंुच चुका है। हेलिकाप्टर से कल गिरौदपुरी से जोगी को दौरा शुरू होगा। एक दिन में वे तीन से चार सभा करेंगे। 30 दिसंबर को जांजगीर में इसका समापन करेंगे। मीडिया ने जोगी से जब पूछा कि नोटबंदी में हेलिकाप्टर का कैसे इंतजाम कर लिए, जोगी बोले, मित्रों ने मुहैया कराया है। अब भूपेश बघेल कहीं पूछ दें कि मित्र कौन? तो जोगी क्या जवाब देंगे।
ऐसी दुश्मनी देखी नहीं?
अजीत जोगी और भूपेश बघेल के बीच जुबानी जंग फिर तेज हो गई है। दोनों नेता कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। पीसीसी चीफ भूपेश बघेल के आरोप कि जोगी का दिमाग खराब हो गया है, शनिवार को मीडिया ने जब जोगी से पूछा तो उन्होंने छूटते ही कहा, भूपेश का क्या-क्या खराब हो गया है, मैं बताउं क्या। बहरहाल, दोनों के झगड़े पारिवारिक स्तर पर पहंुच गए हंै। पत्नी-बच्चे, बाप-दादाओं तक। अंदाज वहीं, तू चोर, नहीं तू हमसे बड़ा चोर। ये ठीक नहीं है। छत्तीसगढ़ में इस तरह की सियासी दुश्मनी का कभी टे्रंड नहीं रहा। सियासत अपनी जगह और रिश्ते अपनी जगह होते थे। पुराने लोगों को शायद याद होगा, इमरजेंसी के दिनों में लखीराम अग्रवाल जब जेल में थे, और उनकी पत्नी बीमार पड़ी तो कांग्रेसियों ने आगे आकर लखीराम को पेरोल पर छुड़वाया था। यह तो एक बानगी है, ढेरों उदाहरण आपको मिल जाएंगे। छत्तीसगढ़ के लोगों ने राघवेंद्र राव, रविशंकर शुक्ल, श्यामचरण, विद्याचरण, पुरूषोतम कौशिक, बृजलाल वर्मा के दौर को भी देखा है। इनमें कभी कटुता नहीं रही। ना कभी मर्यादा टूटी। पत्नी-बच्चों पर आक्षेप की तो कोई सोच ही नहीं सकता था।
अंत में दो सवाल आपसे
1. 87 बैच के आईपीएस के प्रमोशन के लिए गृह विभाग बेताब क्यों था?
2. कैबिनेट में आरसी श्रीवास्तव को डीजी प्रमोट करने का किस मंत्री ने विरोध किया और क्यों?
2. कैबिनेट में आरसी श्रीवास्तव को डीजी प्रमोट करने का किस मंत्री ने विरोध किया और क्यों?
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