25 दिसंबर
संजय दीक्षित
पीडब्लूडी की मानिटरिंग सरकार कुछ दिनों से खुद कर रही है। मंथ में एक बार रिव्यू होता है। इसमें सीएम से लेकर उनके सचिवालय के आफिसर मौजूद रहते हैं….बैजेंद्र कुमार, अमन सिंह, सुबोध सिंह, रजत कुमार याने सभी। अबकी 20 दिसंबर को मीटिंग में कुछ इंजीनियरों ने एक संवेदनशील विभाग को टारगेट कर दिया। खासकर सीएम ने जब रायपुर-बिलासपुर फोर लेन पर सवाल किया। इंजीनियर बोले, सर, वो फलां विभाग क्लियरेंस नहीं दे रहा….अधिकारी काम नहीं होने दे रहे हैं। बैठक में उस विभाग के सिकरेट्री भी मौजूद थे। और, मंत्री तो खुद सीएम हैं ही। सरकार को यह नागवार गुजरा। लगा, अपनी नाकामी छिपाने…..। सो, तीसरे दिन पीडब्लूडी का निजाम ही बदल दिया। सुबोध सिंह सिकरेट्री अपाइंट हो गए। और, सुबोध के सिकरेट्री होने का मतलब समझ सकते हैं। एक तरह से कहा जाए तो पीडब्लूडी इंजीनियरों के लिए आ बैल मुझे मार वाला हाल हो गया।
पीडब्लूडी की मानिटरिंग सरकार कुछ दिनों से खुद कर रही है। मंथ में एक बार रिव्यू होता है। इसमें सीएम से लेकर उनके सचिवालय के आफिसर मौजूद रहते हैं….बैजेंद्र कुमार, अमन सिंह, सुबोध सिंह, रजत कुमार याने सभी। अबकी 20 दिसंबर को मीटिंग में कुछ इंजीनियरों ने एक संवेदनशील विभाग को टारगेट कर दिया। खासकर सीएम ने जब रायपुर-बिलासपुर फोर लेन पर सवाल किया। इंजीनियर बोले, सर, वो फलां विभाग क्लियरेंस नहीं दे रहा….अधिकारी काम नहीं होने दे रहे हैं। बैठक में उस विभाग के सिकरेट्री भी मौजूद थे। और, मंत्री तो खुद सीएम हैं ही। सरकार को यह नागवार गुजरा। लगा, अपनी नाकामी छिपाने…..। सो, तीसरे दिन पीडब्लूडी का निजाम ही बदल दिया। सुबोध सिंह सिकरेट्री अपाइंट हो गए। और, सुबोध के सिकरेट्री होने का मतलब समझ सकते हैं। एक तरह से कहा जाए तो पीडब्लूडी इंजीनियरों के लिए आ बैल मुझे मार वाला हाल हो गया।
न्यू ईयर गिफ्ट!
पीसीसी चीफ भूपेश बघेल रमन सिंह और अजीत जोगी के रिश्ते पर सवाल उठाने से नहीं चूकते। आज छोटे जोगी ने भूपेश के साथ सीएम को जोड़ कर एक नया टाईप का आरोप लगाया। भूपेश के जमीन मामले में क्लीन चिट पर मीडिया ने पूछा तो अमित बोले, सरकार ने भूपेश को न्यू ईयर गिफ्ट दिया है….हमने सीएम से इसकी शिकायत की थी…..मगर उल्टा हो गया….भूपेश पर नजरे इनायत कर दी सरकार ने। याने अगले चुनाव तक अब चलेगा, रमन का तू दोस्त….नहीं, तू दोस्त। चलिये, गिफ्ट का दांव सटीक निकला।
राम-राम
फायनेंस सिकरेट्री अमित अग्रवाल से सरकार खुश नहीं थी। खासकर उनके एटीट्यूड से। आखिर, सबसे विवाद। सरकार कुछ करना चाह रही थी। मगर विकल्प मिल नहीं रहा था। ऐसे में, अमित ने दिल्ली लौटने की इच्छा जताई तो सीएम के रणनीतिकारों ने उनकी फाइल मंगाकर हरी झंडी दिलाने में देर नहीं लगाई। 22 दिसंबर को जैसे ही उनकी दिल्ली में पोस्टिंग का आर्डर निकला, सरकार ने उन्हें राम-राम कर अमिताभ जैन को नया पीएस फायनेंस बना दिया।
प्रमोशन लिफाफे में
प्रिंसिपल सिकरेट्री सुनील कुजूर के साथ उनके बैचमेट डा0 आलोक शुक्ला का भी एसीएस पद पर प्रमोशन हो गया है। मगर फिलहाल नान घोटाले में उनके खिलाफ मामला चल रहा है, इसलिए डिपार्टमेंट प्रमोशन कमेटी ने नियमानुसार उनके प्रमोशन के रिकमांडेशन को लिफाफे में बंद कर दिया। याने मामले से वे बरी होने पर उनके लिए अलग से डीपीसी की जरूरत नहीं होगी। वे एसीएस प्रमोट हो जाएंगे। जीएडी को सिर्फ दो लाइन का आर्डर निकालना होगा। हालांकि, 86 बैच के ही आईएएस अजयपाल सिंह का नाम डीपीसी में पुटअप नहीं हुआ। अजयपाल का एसीआर इतना गड्मगड है कि ब्यूरोक्रेट्स भी हैरान हैं कि वे पिं्रसिपल सिकरेट्री कैसे बन गए। अलबत्ता, नान घोटाले से पहिले आलोक शुक्ला का एसीआर आउट स्टैंडिंग था।
जो जीता, वो सिकंदर
आईपीएस राजीव श्रीवास्तव को स्पेशल डीजी बनाने को लेकर आईएएस लॉबी में ज्वार आया था, वह कल शाम ठंडा हो गया। सरकार ने सुनील कुजूर की डीपीसी कर एसीएस का आर्डर भी निकाल दिया। वरना, राजीव की डीपीसी के दिन 16 दिसंबर को मंत्रालय में विकट स्थिति निर्मित हो गई थी। आईएएस लॉबी ने प्रमोशन से संबंधित विभाग के अफसरों से यहां तक कह डाला कि आप लोगों को शर्म आनी चाहिए…..कुछ तो शर्म कीजिए आपलोग। हालांकि, आईएएस के लिए राजीव श्रीवास्तव कोई इश्यू नहीं थे। राजीव का किसी से वैर लेने का स्वभाव भी नहीं है। इश्यू था आईएएस का 86 बैच। 86 बैच पोस्ट होने के बाद भी प्रमोशन का बाट जोह रहा था। और, 87 बैच के आईपीएस के लिए कैबिनेट से स्पेशल पोस्ट स्वीकृत करा कर आनन-फानन में डीपीसी भी हो गई। यही आग में घी का काम किया। बहरहाल, आईएएस-आईपीएस के बीच कड़वाहट पैदा हुई, इसके लिए जीएडी को जिम्मेदार माना जा रहा है। सीएम से अल्टीमेटम मिलने से पहिले ही जीएडी अगर सुनील कुजूर का प्रमोशन करा दिया होता तो आक्वड सिचुएशन क्र्रियेट नहीं होता। इस चक्कर में राजीव श्रीवास्तव का मामला भी अटक गया। चलिये, जो जीता, वो सिकंदर।
डीई धारी कलेक्टर
देश में संभवतः यह पहला केस होगा, जिसमें डिपार्टमेंटल इंक्वायरी वाले आईएएस कलेक्टरी कर रहे हां। बात कर रहे हैं, सूरजपुर और नारायणपुर कलेक्टर की। सूरजपुर कलेक्टर जी चुरेंद्र के खिलाफ गरियाबंद में पोस्टिंग के दौरान एक मामला बना था। और, नारायणपुर कलेक्टर टामन िंसंह सोनवाने के खिलाफ जांजगीर में मनरेगा के केस में विभागीय जांच चल रही है। दोनों के खिलाफ कलेक्टर बनने के बाद जांच शुरू हुई है। लेकिन, जातीय समीकरणों के चलते सरकार ने फौरन कोई एक्शन लेना मुनासिब नहीं समझा। अब, कुछ दिनों में कलेक्टरों की लिस्ट निकलने वाली है, इसमें दोनों का नम्बर लगना तय माना जा रहा है।
लंबी लिस्ट
कलेक्टरों के फेरबदल लिस्ट में सूरजपुर, नारायणपुर, सुकमा, कांकेर, कवर्धा, महासमुंद, दुर्ग, बेमेतरा के नाम प्रमुख बताएं जा रहे हैं। इनमें से कुछ अपग्रेड किए जाएंगे तो कुछ को शंट। हालांकि, नए आईएएस को मौका देने के लिए सरकार 2004 बैच को क्लोज करना चाहती है। लेकिन, कुछ अफसरों के परफारमेंस को देखते उलझन की स्थिति है। इस बैच में अमित कटारिया, अंबलगन पी, अलरमेल डी मंगई कलेक्टर हैं। अंबलगन बिलासपुर को संयत ढंग से चला रहे हैं तो उनकी पत्नी मंगई रायगढ़ में उनसे भी आगे हैं। अंबलगन का वैसे भी सवा साल ही हुआ है। वैसे, काम के मामले में दुर्ग कलेक्टर संगीत पी का भी रिपोर्ट कार्ड बढियां बता रही है सरकार। मगर उनका ढाई साल से अधिक वक्त हो गया है। लिहाजा, संगीत का चेंज अवश्यसंभावी है। सुकमा कलेक्टर नीरज बंसोड़ को सीएम अपने गृह जिले में ले जा सकते हैं। तो शम्मी आबिदी का महासमुंद के लिए चर्चा है। महासमुंद से बलौदा बाजार लगा है। बलौदा बाजार में उनके हसबैंड शेख आरिफ कप्तान हैं। वैसे, ज्यादा संभावना है कि लिस्ट एक फेज में ही निकले।
न्यू ईयर का जश्न
बस्तर के कलेक्टर, एसपी जश्न मनाने का कोई मौका नहीं चूकते। तभी तो न्यू ईयर की पार्टी आज से शुरू हो रही है। एक बड़े जिले के कलेक्टर कल एक ग्रेंड पार्टी देने जा रहे हैं। इसमें शिरकत करने के लिए बस्तर के सभी जिलों के कलेक्टर्स, एसपी और सीईओ को न्यौता भेजा गया है। साथ ही, दिल्ली के कुछ तीन दर्जन से अधिक मित्र भी आ रहे हैं। उनके लिए बस्तर के समूचे रिसार्ट एवं होटल बुक हैं। कल से शुरू हुई पार्टी 10 जनवरी तक चलेगी। छह जिलों के कलेक्टर, एसपी को इसके लिए सुविधा के अनुसार डेट बताने के लिए कहा गया है। कांकेर में चूकि महिला कलेक्टर हैं, इसलिए उन्हें इन सब से अलग रखा जाता है। इससे पहिले दिवाली मिलन के नाम पर भी बस्तर में खूब पार्टियां हुई थीं। खैर, इसमें कोई गलत नहीं है। बस्तर में काम-वाम तो है नहीं। पइसा बेहिसाब है। कागजों में उसे खर्च करने के पावर भी अधिक है। ऐसे में, कलेक्टर करें क्या? लोग पार्टीबाज कहते हैं तो कहें, क्या फर्क पड़ता है….अपनी सरकार तो कुछ नहीं कर रही है न।
सुकून की बात
बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह रायपुर विजिट के बाद दिल्ली लौटने पर बीजेपी मुख्यालय की लायब्रेरी की बड़ी तारीफ की है। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा है कि बीजेपी के प्रदेश कार्यालयों में रायपुर पहला कार्यालय होगा, जहां लायब्रेरी तैयार हो गई। वो भी दो महीने में। कलेक्शन भी उसमें गजब का है। शाह ने यह भी लिखा है कि लायब्रेरी के चलते छत्तीसगढ़ प्रवास विशिष्टता पूर्ण रहा। चलिये, पंचायत मिनिस्टर के लिए यह सुकून की बात होगी। क्योंकि, लायब्रेरी का जिम्मा सरकार ने चंद्राकर को सौंपा था। मगर तब शाह के दौरे में दूसरा ही एपीसोड हो गया था। इसके चलते लायब्रेरी को मीडिया में एक लाइन भी जगह नहीं मिली।
अंत में दो सवाल आपसे
1. मुख्य सूचना आयुक्त का पद किसके लिए आरक्षित रखा गया है
2. धुर विरोधी नेता भूपेश बघेल को जमीन मामले में क्लीन चिट देने में सरकार ने देर नहीं लगाई। इसकी क्या वजह है?
2. धुर विरोधी नेता भूपेश बघेल को जमीन मामले में क्लीन चिट देने में सरकार ने देर नहीं लगाई। इसकी क्या वजह है?
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